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नाममा
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from ugliness, diseases, ill luck or sorrow. They are a little less in heighty than men. They have the following 32 meritorious signs, ____ (1) Umbrella, (2) Flag, (3) Yajna Pillar, (4) Memorial mound, (5) Garland, (6) Bucket, (7) Pot, (8) Lake, (9) Swastika, (10) Buntings, y (11) Yav (barley), (12) Fish, (13) Tortoise, (14) Main chariot, (15) Cupid, (16) Vajra, (17) Plate, (18) Short lance, (19) Cloth board for gambling, (20) Cup with high bottom, (21) Celestial being, (22) Anointing of Lakshmi, (23) Welcome gate, (24) Ground, (25) Sea, (26) Mansion, (27) Holy hill, (28) Holy mirror, (29) Playing elephant, (30) Bull, (31) Lion, and (32) Whisk.
They have a beautiful glow and are loved by all. They are abode of embellishment and adorned in beutiful dress. Their breasts, thighs, face, i hands, feet and eyes are all extremely beautiful. They have all the
charms of the youth. They are fairies in human form of Uttarkuru area like the fairies moving in Nandan forest. One feels wonder struck at their beauty and feels how it is possible to see such a grand beauty in ! human beings. They do not feel satisfied with the worldly pleasures they enjoy for a long period of three palyopam. They die in a state of nonsatisfaction.
विवेचन : प्रस्तुत पाठ में भोगभूमि की महिलाओं का नख से शिख तक का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस । वर्णन में उनके शरीर के समस्त अंगोपांगों का पृथक्-पृथक् वर्णन है, जो विविध उपमाओं द्वारा स्पष्ट किया ! । गया है।
यह सब कथन उनके बाह्य सौन्दर्य का प्रदर्शक है। उनकी आन्तरिक प्रकृति, स्वभाव आदि के विषय में यहाँ ! कोई उल्लेख नहीं है। इसका कारण यह है कि इससे पूर्व भोगभूमिज पुरुषों के वर्णन में जो कहा जा चुका है, । वह यहाँ भी समझ लेना है। तात्पर्य यह है कि वहाँ के मानव-पुरुष जैसे अल्पकषाय एवं सात्त्विक स्वभाव वाले A होते हैं वैसे ही वहाँ की महिलाएँ भी होती हैं। जैसे पुरुष पूर्णतया निसर्गजीवी होते हैं वैसे ही नारियाँ भी सर्वथा ! - निसर्ग-निर्भर होती हैं। प्रकृतिजीवी होने के कारण उनका समग्र शरीर सुन्दर होता है, नीरोग रहता है और । । अन्त तक उन्हें वृद्ध अवस्था जनित विडम्बना नहीं भुगतनी पड़ती। उन्हें बुढ़ापा नहीं आता। जीवन-पर्यन्त वे
आनन्द, भोग-विलास में मग्न रहती हैं। फिर भी अन्त में भोगों से अतृप्त रहकर ही मरण को प्राप्त होती हैं। í Elaboration—In the present lesson the beauty of ladies of bhog land
(land of enjoyment) has been described from tip to toe. In this narration each part of their body has been separately described and it has been elaborated by suitable analogies.
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श्रु.१, चतुर्थ अध्ययन : अब्रह्म आश्रव
(215) Sh.1, Fourth Chapter: Non-Celibacy Aasrava
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