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F Ir the same way chaaritra (ascetic-conduct) is of four kinds— फ्र 5 (1) bhinna chaaritra (broken ascetic-conduct ) – requiring atonement, (2) jarjarit chaaritra (decrepit ascetic-conduct ) – requiring partial atonement, (3) parisravi chaaritra (dripping ascetic-conduct)with minute transgressions and (4) aparisravi chaaritra (non-dripping ascetic-conduct)-complete absence of transgressions.
मधु - विष- कुम्भ पद MADHU VISH KUMBH PAD
(SEGMENT OF HONEY, POISON AND PITCHER)
५९६. चत्तारि कुंभा पण्णत्ता, तं जहा - महुकुंभे णाममेगे महुपिहाणे, महुकुंभे णाममेगे विसपिहाणे, विसकुंभे णाममेगे महुपिहाणे, विसकुंभे णाममेगे विसपिहाणे।
हिययमपावमकसं, जीहाऽवि य महुरभासिणी णिच्चं । जम्मि पुरिसम्मि विज्जति, से मधुकुंभे मधुपिहाणे ॥१ ॥ हिययमपावमकलुसं, जीहाऽवि य कडुयभासिणी णिच्चं । जम्म पुरिसम्म विज्जति, से मधुकुंभे विसपिहाणे ॥ २ ॥
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एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - महुकुंभे णाममेगे महुपिहाणे, महुकुंभे णाममेगे 5 विसपिहाणे, विसकुंभे णाममेगे, महुपिहाणे, विसकुंभे णाममेगे विसपिहाणे ।
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किसमयं जीहाऽवि य मधुरभासिणी णिच्चं । जम्मि पुरिसम्मि विज्जति, से विसकुंभे महुपिहाणे ॥ ३ ॥
जं हिययं कलुसमयं जीहाऽवि य कडुयभासिणी णिच्चं ।
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जम्म पुरिसम्म विज्जति, से विसकुंभे विसपिहाणे ॥४ ॥ ( संग्रहणी - गाथा )
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५९६. कुम्भ चार प्रकार के कहे हैं - (१) मधुकुम्भ, मधुपिधान-कोई कुम्भ मधु से भरा होता है और उसका पिधान (ढक्कन) भी मधुमय होता है । (२) मधुकुम्भ, विषपिधान - कोई कुम्भ विष से भरा, किन्तु उसका ढक्कन विष लिप्त होता है। (३) विषकुम्भ, मधुपिधान-कोई कुम्भ विष से भरा, किन्तु उसका ढक्कन मधु लिप्त होता है। (४) विषकुम्भ, विषपिधान - कोई कुम्भ विष से भरा, और उसका ढक्कन भी विष लिप्त होता है।
चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे हैं । (१) कोई पुरुष हृदय से मधु जैसा मिष्ट व पापरहित होता है और उसकी जिह्वा भी मिष्टभाषिणी होती है। (२) कोई हृदय से तो मधु जैसा मिष्ट होता है, किन्तु उसकी जिह्वा विष जैसी कटुभाषिणी होती है । (३) किसी के हृदय में तो विष भरा होता है, किन्तु जीभ से मधुरभाषी होता है । (४) किसी के हृदय में विषं भरा होता है और जीभ से विष जैसी कटु भाषा बोलता है।
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Fourth Sthaan: Fourth Lesson
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