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फ उनका उपकारादि में उपयोग करता रहता है । ((२) कोई श्रुतादि से पूर्ण होने पर भी उसका उपकारादि
में उपयोग नहीं करता । (३) कोई श्रुतादि से अपूर्ण होने पर भी प्राप्त अर्थ का उपकारादि में उपयोग 5 करता है। (४) कोई श्रुतादि से अपूर्ण होता है और उनसे परोपकार भी नहीं करता ।)
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no vishyandak-some pitcher is filled but no vishyandak (not dripping). 卐
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(3) Tuchchha and vishyandak-some pitcher is not filled (fully) but 卐 dripping. (4) Tuchchha and no vishyandak-some pitcher is neither filled 卐 nor dripping.
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५९४. कुम्भ चार प्रकार के कहे हैं - (१) पूर्ण और विष्यन्दक - कोई कुम्भ जल आदि से पूर्ण होता है 5 और झरता भी है । (२) कोई कुम्भ जल आदि से पूर्ण होता है किन्तु झरता नहीं है । (३) कोई कुम्भ तुच्छ होता है और झरता भी है। (४) कोई कुम्भ तुच्छ होता है और झरता भी नहीं है।
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इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे हैं - (१) कोई पुरुष सम्पत्ति - श्रुतादि से पूर्ण होता है और
In the same way manushya (man) is of four kinds-(1) Purna and 卐 vishyandak-some man is purna (well endowed with wealth and knowledge) and vishyandak (puts them to benevolent use). (2) Purna and
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卐 no vishyandak-some man is well endowed but no vishyandak (does not
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put them to benevolent use ). ( 3 ) Tuchchha and vishyandak— some man is 5 tuchchha (not well endowed) but puts whatever he has to benevolent use. फ्र
594. Kumbha ( pitcher) is of four kinds (1) Purna and vishyandak - 5 some pitcher is purna ( filled) and vishyandak ( dripping). (2) Purna and 5.
(4) Tuchchha and no vishyandak-some man is neither well endowed nor puts anything to benevolent use.
चारित्र - सूत्र CHAARITRA-PAD (SEGMENT OF ASCETIC CONDUCT)
५९५. चत्तारि कुंभा पण्णत्ता, तं जहा- भिण्णे, जज्जरिए, परिस्साई, अपरिस्साई ।
एवामेव
चउव्विहे चरित्ते पण्णत्ते, तं जहा- भिण्णे, (जज्जरिए, परिस्साई ), अपरिस्साई । ५९५. कुम्भ चार प्रकार के होते हैं
(१) भिन्न (फूटा), (२) जर्जरित (पुराना ), (३) परिस्रावी (झरने वाला), (४) अपरिस्रावी (नहीं झरने वाला) ।
इसी प्रकार चारित्र भी चार प्रकार का कहा है - ( १ ) भिन्न चारित्र - मूल प्रायश्चित्त के योग्य, जर्जरित चारित्र - छेद प्रायश्चित्त के योग्य, (३) परिस्रावी चारित्र - सूक्ष्म अतिचार वाला, (४) (अपरिस्रावी चारित्र - निरतिचार - सर्वथा निर्दोष चारित्र ।)
(२)
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(56)
595. Kumbha (pitchers) are of four kinds – ( 1 ) bhinna (broken ), 5 (2) jarjarit ( decrepit ), ( 3 ) parisravi (dripping) and ( 4 ) aparisravi (not dripping).
स्थानांगसूत्र ( २ )
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Sthaananga Sutra (2)
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