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Deva represents virtues like physical health and wealth, love, 卐 generosity, sweet nature, discipline, and forgiveness etc. Asur represents ' 41 attributes like anger, wantonness, conceit, extravagance, callousness etc. 41
Rakshas represents attributes like cruelty, absence of compassion, meanness, unrestricted eating habits etc. Manushya represents mixture
of all these attributes in different proportions. Combination of god and 4 goddess indicates copulation of a virtuous man with a virtuous woman. $ Other classifications can be interpreted in the same way. 9 अपध्वंस-पद APADHVANS-PAD (SEGMENT OF DECLINE)
५६६. चउबिहे अवद्धंसे पण्णत्ते, तं जहा-आसुरे, आभिओगे, संमोहे, देवकिब्बिसे।
५६६. अपध्वंस (पतन या चारित्र का विनाश) चार प्रकार का होता है। जैसे-(१) असुर-अपध्वंस, ॐ (२) आभियोग-अपध्वंस, (३) सम्मोह-अपध्वंस, और (४) देवकिल्विष-अपध्वंस)।
566. Apadhvans (decline) is of four kinds-(1) Asur-apadhvans, (2) Abhiyoga-apadhvans, (3) Sammoha-apadhvans and (4) DevkilvishFapadhvans.
विवेचन- शुद्ध भावपूर्वक की गई तपस्या का फल निर्वाण की प्राप्ति तथा शुभ भावपूर्वक की गई E तपस्या का फल स्वर्ग की प्राप्ति है। किन्तु जिस तपस्या में किसी प्रकार की आकांक्षा या फल-प्राप्ति की ॐ वांच्छा जुड़ी रहती है, उस तपःसाधना के फल से प्राणी देवयोनि में तो उत्पन्न होता है, किन्तु मन में है + आकांक्षा रहने के कारण नीच जाति के भवनवासी आदि देवों में उत्पन्न होता है। जिन अनुष्ठानों, ॐ आचरणों को करने से साधक असुरत्व का उपार्जन करता है, वह आसुरी भावना है। जिन अनुष्ठानों व है म आचरणों से साधक आभियोग जाति (देवताओं में सेवक तुल्य) के देवों में उत्पन्न होता है, वह
आभियोगी-भावना है, जिन अनुष्ठानों से साधक सम्मोहक देवों में उत्पन्न होता है, वह सम्मोही भावना है ॐ और जिन अनुष्ठानों से साधक किल्विष देवों (चण्डालपना) में उत्पन्न होता है, वह देवकिल्विषी भावना है। म 9 वस्तुतः ये चारों ही भावनाएँ चारित्र के अपध्वंस (विनाशरूप) हैं, अतः अपध्वंस के चार प्रकार बताये
हैं। चारित्र का पालन करते हुए भी व्यक्ति जिस प्रकार की हीन भावना में निरत रहता है, वह उस ॐ ॐ प्रकार के हीन देवों में उत्पन्न हो जाता है। आगे के सूत्रों में चारों प्रकार की भावना पर प्रकाश डाला है।
Elaboration-Austerities observed with spiritual purity lead to 4 liberation and those done with pious feelings lead to birth in higher 5 divine realms. But austerities connected with some aspirations or desire 5 of attainments, although lead to birth in divine realm but of lower levels
like abode dwelling gods. The rituals and conduct that lead to Asur realm are included in asuri bhaavana attitude. The rituals and conduct
that lead to birth as Abhiyogik gods (servant gods) are included in 卐 abhiyogi bhaavana. The rituals and conduct that lead to birth as
ब)))))55559555555555555555555555555555555555558
卐 स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2) 55555555步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步牙牙牙乐园
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