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१६७. सीता-सीतोया णं महाणईओ मुहमूले दस-दस जोयणाई उव्वेहेणं पण्णत्ताओ। १६४. सभी द्वीप और समुद्र दस सौ-दस सौ (एक-एक हजार) योजन गहरे हैं। १६५. सभी महाद्रह दस-दस योजन गहरे हैं। १६६. सभी सलिलकुण्ड (प्रपातकुण्ड) दस-दस योजन गहरे हैं।
१६७. सीता-शीतोदा महानदियों के मुखमूल (समुद्र में प्रवेश करने के स्थान दस-दस योजन गहरे हैं। : 164. All Dveeps (continents or islands) and samudras (seas) are ten hundred Yojans deep.
165. All Mahadraha (great lakes) are ten hundred Yojans deep. 166. All Salil kund (waterfall-lakes) are ten hundred Yojans deep.
167. The mouths of Sita and Sitoda great rivers are ten hundred Yojans deep. नक्षत्र-पद NAKSHATRA-PAD (SEGMENT OF CONSTELLATIONS)
१६८. कत्तियाणक्खत्ते सबबाहिराओ मण्डलाओ दसमे मंडले चारं चरति। १६९. अणुराधाणक्खत्ते सव्वभंतराओ मंडलाओ दसमे चारं चरति। १६८. कृत्तिका नक्षत्र चन्द्रमा के सर्वबाह्य-मण्डल से दसवें मण्डल में संचार (गमन) करता है। १६९. अनुराधा नक्षत्र चन्द्रमा के सर्वाभ्यन्तर-मण्डल से दसवें मण्डल में संचार करता है।
168. Krittika nakshatra moves in the tenth orbit counted inwards i from the outer most orbit around the moon. ! 169. Anuradha nakshatra moves in the tenth orbit counted outwards
from the inner most orbit around the moon. ज्ञानवृद्धिकर-पद JNANAVRIDDHIKAR-PAD
(SEGMENT OF ENHANCEMENT OF KNOWLEDGE) १७०. दस णक्खत्ता णाणस्स विद्धिकरा पण्णत्ता, तं जहा
मिगसिरमद्दा पुस्सो, तिण्णि य पुवाई मूलमस्सेसा।
हत्थो चित्ता य तहा, दस विद्धिकराई णाणस्स॥१॥ (संग्रहणी गाथा) १७०. दस नक्षत्र ज्ञान की वृद्धि करने वाले हैं, जैसे-(१) मृगशिरा, (२) आर्द्रा, (३) पुष्य, (४) पूर्वाषाढा, (५) पूर्वभाद्रपद, (६) पूर्वफाल्गुनी, (७) मूल, (८) आश्लेषा, (९) हस्त, (१०) चित्रा।
170. Ten nakshatras are said to be enhancers of knowledge-- 4 (1) Mrigashira, (2) Ardraa, (3) Pushya, (4) Purvashadh, 5
E55555555555555555555 555555555 FFFFFFFFFFFFFFFF听听听听
दशम स्थान
(563)
Tenth Sthaan
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