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| चित्र परिचय १८ ।।
Illustration No. 18
रत्नप्रभा के तीन काण्ड रत्नप्रभा प्रथम नरक भूमि की मोटाई एक लाख अस्सी हजार योजन है। इसके तीन खण्ड (भाग) हैं। __सबसे नीचे आकाश है, उस पर तनुवात है, उस पर घनवात और उस पर घनोदधि स्थित है। सबसे नीचे का-(१) जलकाण्ड जल बहुल ८० हजार योजन का है। (२) दूसरा पंककाण्ड (कीचड़मय) यह ८४ हजार योजन का है तथा तीसरा खरकाण्ड (रत्नमय) है। खरकाण्ड के १६ भाग हैं, प्रत्येक काण्ड १-१ हजार योजन का है, जो भिन्न-भिन्न रत्नों की प्रभा लिए हुए है। ऊपर से सबसे पहला वैडूर्यकाण्ड है तथा सबसे नीचे १६वाँ रिष्टकाण्ड है।
-स्थान १०, सूत्र १६१-१६३
THREE SECTIONS OF RATNAPRABHA This Ratnaprabha prithvi (first hell) is one hundred eighty thousand Yojans thick. It has three sections (kaand). ___Lowest is akash (space) above which is tanuvaat, then ghanavaat and then ghanodadhi. The lowest section is Jal kaand with a thickness of 80 thousand Yojans. The second section above it is Pank-bahul kaand with a thickness of 84 thousand Yojans. The third Khar-kaand is the top most section and its thickness is sixteen thousand Yojans. Kharkaand is divided into 16 layers made up of sixteen kinds of gems (ratna). The highest among these is Vaidurya kaand and the lowest is Risht kaand.
-Sthaan 10, Sutra 161-163
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