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to speech), (7) Kaya-sanklesh (that related to body), (8) Jnana-sanklesh
(that related to knowledge), (9) Darshan-sanklesh (that related to perception/faith) and (10) Chaaritra-sanklesh (that related to conduct). ८७. दसविधे असंकिलेसे पण्णत्ते, तं जहा - उवहि असंकिलेसे, उवस्सय असंकिलेसे,
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5 कसाय असंकिलेसे, भत्तपाणअसंकिलेसे, मणअसंकिलेसे, वइअसंकिलेसे, काय असंकिलेसे, णाण असंकिलेसे, दंसण असंकिलेसे, चरित्तअसंकिलेसे ।
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संक्लेश - आहारादि के निमित्त से होने वाला। (५) मनः संक्लेश-मन के उद्वेग से होने वाला । फ
(६) वाक् - संक्लेश - वचन के निमित्त से होने वाला। (७) काय - संक्लेश- शरीर के निमित्त से होने वाला । (८) ज्ञान - संक्लेश- ज्ञान की अशुद्धि से होने वाला । ( ९ ) दर्शन- संक्लेश-दर्शन की अशुद्धि से होने वाला । (१०) चारित्र संक्लेश- चारित्र की अशुद्धि से होने वाला ।
86. Sanklesh (perturbed state of mind) is of ten kinds-(1) Upadhisanklesh (that related to possessions), (2) Upashraya-sanklesh (that related to place of stay ), ( 3 ) Kashaya - sanklesh (that related to passions फ like anger ), ( 4 ) Bhakt-paan-sanklesh (that related to food and water), 5
(5) Manah-sanklesh (that related to mind) (6) Vak-sanklesh (that related
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(२) उपाश्रय - असंक्लेश, (३) कषाय-असंक्लेश, (४)
(७) काय असंक्लेश,
(८)
८७. असंक्लेश - ( प्रत्येक स्थिति में मन की प्रसन्नता) दस प्रकार का है - (१) उपधि - असंक्लेश, भक्त - पान - असंक्लेश, (५) मनः असंक्लेश, ज्ञान - असंक्लेश, (९) दर्शन - असंक्लेश, फ
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(६) वाक् - असंक्लेश, (१०) चारित्र असंक्लेश ।
5 to speech), (7) Kaya- asanklesh (that related to body), (8) Jnana-asanklesh फ्र
5 (that related to knowledge ), ( 9 ) Darshan-asanklesh (that related to perception/faith) and (10) Chaaritra-asanklesh (that related to conduct ).
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5 बल - सूत्र BAL-PAD (SEGMENT OF STRENGTH)
87. Asanklesh (unperturbed state of mind) is of ten kinds-(1) Upadhiasanklesh (that related to possessions ), ( 2 ) Upashraya- asanklesh (that 5 related to place of stay), (3) Kashaya - asanklesh (that related to passions 5 like anger), (4) Bhakt-paan-asanklesh (that related to food and water), (5) Manah-asanklesh (that related to mind) (6) Vak-asanklesh (that related
८८. दसविधे बले पण्णत्ते, तं जहा- सोतिंदियबले, ( चक्खिंदियबले, घाणिंदियबले, 5 जिब्भिंदियबले), फासिंदियबले, णाणबले, दंसणबले, चरित्तबले, तवबले, वीरियबले ।
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दशम स्थान
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८८. बल दस प्रकार का है - (१) श्रोत्रेन्द्रिय-बल । (२) चक्षुरिन्द्रिय-बल । (३) घ्राणेन्द्रिय-बल । फ्र (४) रसनेन्द्रिय-बल। (५) स्पर्शनेन्द्रिय-बल (पाँचों इन्द्रियों की पर्याप्त शक्ति को यहाँ बल कहा है ) । (६) ज्ञानबल। (७) दर्शनबल। (८) चारित्रबल। (९) तपोबल। (१०) वीर्यबल ।
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Tenth Sthaan
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