________________
%%
%%%
%%%
%%
%%%
%%%
%%%%
%%%
%%%
%%%%
%%%%%
855555555555555555555555555555555555555555555555555
18. Jiva parinaam (manifestations of soul) are of ten kinds-(1) Gati. y parinaam-going into genuses including hell, (2) indriya parinaamacquiring five sense organs, (3) kashaya parinaam-getting passions, y (4) leshya parinaam-to manifest leshyas, (5) yoga-parinaammanifestation of action with three associations including mental, (6) upayog parinaam-two kinds of indulgences, (7) jnana parinaam five kinds of knowledge, (8) darshan parinaam-three kinds of perception, (9) chaaritra parinaam-five kinds of conduct, and (10) veda parinaam-three kinds of gender.
१९. दसविधे अजीवपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा-बंधणपरिणामे, गतिपरिणामे, संठाणपरिणामे, भेदपरिणामे, वण्णपरिणामे, रसपरिणामे, गंधपरिणामे, फासपरिणामे, अगुरुलहुपरिणामे, सद्दपरिणामे।
१९. अजीव का परिणाम दस प्रकार का है-(१) बन्धन-परिणाम-पुद्गलों का परस्पर सम्बन्ध होना। (२) गति-परिणाम-पुद्गलों की गति, (३) संस्थान-परिणाम, (४) भेद-परिणाम, (५) वर्ण-परिणाम-स्निग्धता, रुक्षता के आधार पर, (६) रस-परिणाम, (७) गन्ध-परिणाम, (८) स्पर्श-परिणाम, (९) अगुरु-लघु-परिणाम, (१०) शब्द-परिणाम।
19. Ajiva parinaam (manifestations of matter) are of ten kinds(1) bandhan parinaam-mutual bondage of matter particles, (2) gati parinaam-movement of matter particles, (3) samsthan parinaamstructure of matter, (4) bhed parinaam-separation, (5) varna parinaam--appearance or colour, (6) rasa parinaam-taste, (7) gandh parinaam-smell, (8) sparsh parinaam-touch, (9) aguru-laghu parinaam-not gross but minute form, and (10) shabd parinaam--sound.
विवेचन-एक रूप को छोड़कर दूसरे रूप में परिवर्तित होना, अथवा विद्यमान पर्याय को छोड़कर नवीन पर्याय धारण करना 'परिणाम' है। द्रव्यार्थिकनय से सभी पदार्थ ध्रुव है, नित्य है तथा
पर्यायार्थिकनय से सभी पदार्थ अनित्य हैं। एक पर्याय को छोड़कर दूसरी पर्याय को प्राप्त करना, पदार्थ ॐ का स्वभाव है। संसारी जीवों में गति आदि दस परिणाम पाये जाते हैं। जीव की तरह जीव रहित पदार्थों में भी परिणमन होता रहता है। (ठाणं, पृष्ठ ९६४)
Elaboration-To manifest or transform from one form to another or shift from one mode to another is called parinaam. According to dravyarthik naya (existent material aspect) all substances are constant and permanent and according to paryayarthik naya (transformational aspects) all substances are impermanent. To shift from one mode to another is intrinsic nature of substance. In worldly beings there are ten
555555555555555555555555555555555555EEEEER
| स्थानांगसूत्र (२)
(478)
Sthaananga Sutra (2)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org