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39. The names of these nine levels of these Graiveyak Vimaans are (1) Bhadra, (2) Subhadra, (3) Sujaat, (4) Saumanas, (5) (6) Sudarshan, (7) Amoha, (8) Suprabuddha and (9) Yashodhar.
आयुपरिणाम - पद AYU-PARINAAM-PAD
(SEGMENT OF CAPACITY OF AYUSHYA KARMA)
४०. नवविहे आउपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा - गतिपरिणामे, गतिबंधणपरिणामे, ठितीबंधणपरिणामे, उडुंगारवपरिणामे, अहेगारवपरिणामे, तिरियंगारवपरिणामे दीहंगारवपरिणामे, फ्र रहस्संगारवपरिणामे ।
४०. आयुःपरिणाम नौ प्रकार का है - गति परिणाम, गतिबन्ध परिणाम, स्थिति परिणाम, स्थितिबन्ध परिणाम, ऊर्ध्वगौरव परिणाम, अधोगौरव परिणाम, तिर्यक् गौरव परिणाम, दीर्घगौरव परिणाम, हस्वगौरव परिणाम |
Priyadarshan,
नवम स्थान
40. Ayu-parinaam (capacity of ayushya karma) is of nine kinds (1) Gatiparinaam, (2) Gatibandh parinaam, ( 3 ) Sthiti parinaam, 5 (4) Sthitibandh parinaam, (5) Urdhvagaurav parinaam, ( 6 ) Adhogaurav parinaam, (7) Tiryak gaurav parinaam, (8) Deergh gaurav parinaam and 5 (9) Hrasva gaurav parinaam.
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ठितीपरिणामे,
विवेचन - आयुष्य कर्म की स्वाभाविक शक्ति को आयु परिणाम कहते हैं। परिणाम शब्द, स्वभाव, शक्ति और धर्म इत्यादि अर्थों का बोधक है। आयुष्य कर्म बँधते समय जीव के साथ ये बातें निश्चित हो जाती है - (१) वह किस गति में जायेगा, (२) वहाँ उसकी स्थिति कितनी होगी, (३) वह ऊँचा, नीचा या तिरछा कहाँ जायेगा, तथा (४) दूरवर्ती क्षेत्र में या निकटवर्ती क्षेत्र में कहाँ तक जायेगा। संक्षेप में इनका विवेचन इस प्रकार है
(१) गति परिणाम - जीव को अपनी निश्चित गति में पहुँचाने वाला आयुष्य कर्म ।
(२) गति बंध - परिणाम - अपनी नियत गति के योग्य कर्म का बन्ध कराने वाला आयु का स्वभाव | 5 जैसे देव-नरक गति वाला जीव केवल मनुष्य तथा तिर्यंच गति के आयु का ही बंध करता है।
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(३) स्थिति - परिणाम - भव सम्बन्धी अन्तर्मुहूर्त से लेकर तेतीस सागरोपम तक की स्थिति का 5 यथायोग्य बन्ध कराने वाला परिणाम ।
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(४) स्थितिबन्धन - परिणाम - पूर्व भव की आयु
अनुसार अगले भव की नियत आयुस्थिति का फ बन्ध कराने वाला परिणाम । २५६ आवलिका से कम तथा ३३ सागरोपम से अधिक आयु का बन्ध कोई जीव नहीं करता।
(५) ऊर्ध्वगौरव - परिणाम - जीव को ऊर्ध्वदिशा में गमन कराने वाला परिणाम | (६) अधोगौरव - परिणाम - जीव को अधोदिशा में गमन कराने वाला परिणाम ।
(433)
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Ninth Sthaan
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