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११५. श्रमण भगवान महावीर के अनुत्तर विमानों में उत्पन्न होने वाले साधुओं की उत्कृष्ट सम्पदा आठ सौ थी। वे कल्याणगति वाले, कल्याणस्थिति वाले और आगामी काल में निर्वाण प्राप्त करने वाले हैं। 卐
115. In the sangh of Shraman Bhagavan Mahavir the maximum 5 ¡ number of ascetics reincarnating in Anuttar vimaans was eight hundred. They are in blissful genus, blissful state and destined to attain liberation in next birth.
वाणव्यन्तर- पद VANAVYANTAR-PAD (SEGMENT OF INTERSTITIAL GODS)
११६. अट्ठविधा वाणमंतरा देवा पण्णत्ता, तं जहा -पिसाया, भूता, जक्खा, रक्खसा, किण्णरा, किंपुरिसा, महोरगा, गंधव्या । ११७. एतेसि णं अट्ठविहाणं वाणमंतरदेवाणं अट्ठ
चेइयरुक्खा पण्णत्ता,
तं जहा
कलंबो उ पिसायाणं, वडो जक्खाण चेइयं । तुलसी भूयाण भवे, रक्खाणं च कंडओ ॥१॥
असोओ किण्णराणं च, किंपुरिसाणं तु चंपओ ।
णागरुक्खो भुयंगाणं, गंधवाणं य तेंदुओ ॥ २ ॥ ( संग्रहणी - गाथा )
अष्टम स्थान
११८. इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ अट्ठजोयणसते उड्डमबाहाए सूरविमाणे चारं चरति । ११९. अट्ठ णक्खत्ता चंदेणं सद्धिं पमद्दं जोगं जोएंति, तं जहा - कत्तिया, रोहिणी, पुणव्वसू, महा, चित्ता, विसाहा, अणुराधा, जेट्ठा ।
११६. वाण-व्यन्तर देव आठ प्रकार के होते हैं - ( १ ) पिशाच, (२) भूत, (३) यक्ष, (४) राक्षस, फ (५) किन्नर, (६) किम्पुरुष, (७) महोरग, (८) गन्धर्व । ११७. इन आठ प्रकार केवाण - व्यन्तर देवों के आठ चैत्यवृक्ष (प्रिय वृक्ष) होते हैं, जैसे- (१) कदम्ब पिशाचों का, (२) वट यक्षों का, (३) तुलसी भूतों का, (४) काण्डक राक्षसों का, (५) अशोक किन्नरों का, (६) चम्पक किम्पुरुषों का, (७) नागवृक्ष भुजंगों - महोरगों का, (८) तिन्दुक गन्धर्वो का चैत्यवृक्ष होता है ।
116. Vanavyantar devas (interstitial gods) are of eight kinds— (1) Pishach, ( 2 ) Bhoot, (3) Yaksha, (4) Rakshas, (5) Kinnar, (6) Kimpurush, फ्र (7) Mahorag and (8) Gandharva. 117. These eight kinds of interstitial gods have (liking for) eight kinds of Chaityavriskhas (temple-trees)( 1 ) Kadamb is liked by Pishach, (2) Vat (banyan) is liked by Yaksha, (3) Tulsi is liked by Bhoot, (4) Kandak is liked by Rakshas, (5) Ashoka is 5 liked by Kinnar, (6) Champak is liked by Kimpurush, (7) Naag tree is 5 liked by Bhujang or Mahorag and (8) Tinduk is liked by Gandharva.
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5 ज्योतिष्क - पद JYOTISHK - PAD (SEGMENT OF STELLAR GODS )
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Eighth Sthaan
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