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वादि-सम्पदा-पद VAADI-SAMPADA-PAD (SEGMENT OF WEALTH OF VAADIS) + ११३. अरहतो णं अरिट्ठणेमिस्स अट्ठसया वादीणं सदेवमणुयासुराए परिसाए वादे ॐ अपराजिताणं उक्कोसिया वादिसंपया हुत्था।
११३. अर्हत् अरिष्टनेमि के वादी मुनियों की उत्कृष्ट सम्पदा आठ सौ थी, जो देव, मनुष्य और असुरों की परिषद् में वाद-विवाद के समय किसी से भी पराजित नहीं होते थे।
113. In the sangh of Arhat Arishtanemi the utkrishta sampada (maximum wealth or number) of vaadi munis (debater ascetics) was eight hundred. They were absolutely undefeated and unconquerable in any assembly of gods, men and Asurs (demons or lower gods). केवलिसमुद्घात-पद KEVALI-SAMUDGHAT-PAD (SEGMENT OF KEVALI-SAMUDGHAT)
११४. अट्ठसमइए केवलिसमुग्घाते पण्णत्ते, तं जहा-पढमे समए दंडं करेति, बीए समए : कवाडं करेति, ततिए समए मंथं करेति, चउत्थे समए लोगं पूरेति, पंचमे समए लोगं पडिसाहरति, छठे समए मंथं पडिसाहरति, सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरति, अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरति।
११४. केवलिसमुद्घात आठ समय का होता है-(१) पहले समय में दण्ड समुद्घात करते हैं, (२) दूसरे समय में कपाट, (३) तीसरे समय में मन्थान, (४) चौथे समय में लोकपूरण, (५) पाँचवें समय में । लोक-व्याप्त आत्मप्रदेशों का उपसंहार (संकोचन), (६) छठे समय में मन्थान का उपसंहार, (७) सातवें समय में कपाट का उपसंहार, (८) आठवें समय में दण्ड का उपसंहार करते हैं। (विशेष विस्तार के लिए। सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र, भाग १, सूत्र १०८; हिन्दी टीका, भाग २, पृ. ४५६ तथा प्रज्ञापना सूत्र समुद्घात पद देखें) ।
114. Kevali Samudghat is of eight Samayas-(1) In the first Samaya shape of dand (cylindrical) is acquired. (2) In the second Samaya shape of kapaat (cubical) is acquired. (3) In the third Samaya shape of manthaan u (churning stick) is acquired. (4) In the fourth Samaya shape of lokapuran
(enveloping the whole lokakash) is acquired. (5) In the fifth Samaya y 卐 upasamhar (shrinking) of lokapuran (to regain the shape of manthaan) isy
accomplished. (6) In the sixth Samaya upasamhar (shrinking) of 4 manthaan (to regain the shape of kapaat) is accomplished. (7) In the y seventh Samaya upasamhar (shrinking) of kapaat (to regain the shape of 3 dand) is accomplished. (8) In the eighth Samaya upasamhar (shrinking) of dand (to nothingness) is accomplished. (for detailed description of Kevali Samudghat see Illustrated Anyuogadvar Sutra, part-1, aphorism-108; Hindi Tika, part-2, p 456 and Prajnapana Sutra, Samudghat Pad) अनुत्तरौपपातिक-पद ANUTTARAUPAPATIK-PAD (SEGMENT OF ANUTTARAUPAPATIK)
११५. समणस्स णं भगवतो महावीरस्स अट्ठ सया अणुत्तरोववाइयाणं गतिकल्लाणाणं ॐ (ठितिकल्लाणाणं) आगमेसिभदाणं उक्कोसिया अणुत्तरोववाइयसंपया हुत्था।
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स्थानांगसूत्र (२)
(404)
Sthaananga Sutra (2)
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