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95555555555555555555555555555555555558 । आठ पारियानिक (यात्रा में काम आने वाले) विमान हैं, जैसे-(१) पालक, (२) पुष्पक, (३) सौमनस, (४) श्रीवत्स, (५) नंद्यावर्त, (६) कामक्रम, (७) प्रीतिमन, (८) मनोरम।
102. There are said to be eight Indras (overlords) in these Kalps(1) Shakra, (2) Ishan, (3) Sanatkumar, (4) Maahendra, (5) Brahma, (6) Lantak, (7) Mahashukra and (8) Sahasrar. 103. These eight Indras are said to have eight paariyanik vimaans (celestial vehicles used for
traveling)(1) Paalak, (2) Pushpak, (3) Saumanas, (4) Shrivatsa, F (5) Nandyavart, (6) Kamakram, (7) Pritiman and (8) Manoram. # प्रतिमा-पद PRATIMA-PAD (SEGMENT OF SPECIAL CODES)
१०४. अट्टमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइदिएहिं दोहि य अट्ठासीतेहिं भिखासतेहिं । अहासुत्तं (अहाअत्थं अहातच्चं अहामग्गं अहाकप्पं सम्मं काएणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया) अणुपालितावि भवति।
१०४. अष्टअष्टमिका नामक भिक्षुप्रतिमा ६४ दिन-रात में तथा २८८ भिक्षादत्तियों के द्वारा, सूत्रानुसार, अर्थानुसार तत्वानुसार मार्गानुकूल आचारकल्प के अनुरूप तथा सम्यक् प्रकार से स्पर्श करें, पालन करें, अतिचारों से शुद्धिकरण करके, अन्त तक पालन की जाती है। ____104. The Ashta-ashtamika Bhikshupratima (a specific practice with special codes) is sincerely observed (palit), purified (shodhit; for transgressions), completed (purit; for breaking fast), concluded (kirtit; break the fast) and successfully performed (aradhit) for 64 (8x8) days and nights with 288 bhikshadattis (servings of alms) according to the scriptures (yathasutra), correct interpretation (yatha-arth), prescribed procedure (yathamarg) and code of praxis (yathakalp), perfectly following fundamentals (yathatattva), with equanimity (samata) and touching the body (actually, not just conceptually). जीव-पद JIVA-PAD (SEGMENT OF LIVING BEINGS)
१०५. अट्ठविधा संसार समावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा-पढमसमयणेरइया, अपढमसमयणेरइया, (पढमसमयतिरिया, अपढमसमयदेवा ।
१०५. संसार-समापन्नक जीव आठ प्रकार के हैं-(१) प्रथम समय नारक-नरकायु के उदय के प्रथम समय वाले नारक। (२) अप्रथम समय नारक-प्रथम समय के सिवाय शेष समय वाले नारक। (३) प्रथम समय तिर्यंच-तिर्यगायु के उदय के प्रथम समय वाले तिर्यंच। (४) अप्रथम समय तिर्यंच। (५) प्रथम समय मनुष्य-मनुष्यायु के उदय के प्रथम समय वाले मनुष्य। (६) अप्रथम समय मनुष्य। (७) प्रथम समय देव-देवायु के उदय के प्रथम समय वाले देव। (८) अप्रथम समय देव।
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मनानानानानानानामनामनामनामानामा
अष्टम स्थान
(399)
Eighth Sthaan
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