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तं जहा
९४. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं रुप्पिमि वासहरपव्वते अट्ठ कूडा पण्णत्ता, सिद्धेय रुप्पि रम्मग, णरकंता बुद्धि रुप्पकूडे य । हिरण्णवते मणिकंचणे, य रुप्पिम्मि कूडा उ ॥१॥
तं जहा
९३. जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में महाहिमवान् वर्षधर पर्वत के ऊपर आठ कूट हैं, जैसे - ( 9 ) सिद्ध कूट, (२) महाहिमवान् कूट, (३) हिमवान् कूट, (४) रोहित कूट, (५) कूट, (६) हरिकान्त कूट, (७) हरिवर्ष कूट, (८) वैडूर्य कूट । ९४. जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत
के उत्तर में रुक्मी वर्षधर पर्वत पर आठ कूट हैं, जैसे- (१) सिद्ध कूट, (२) रुक्मी कूट, (३) रम्यक कूट, (४) नरकान्त कूट, (५) बुद्धि कूट, (६) रुप्य कूट, (७) हैरण्यवत कूट, (८) मणिकांचन कूट।
सिद्धे महाहिमवंते, हिमवंते रोहिता हिरीकूडे ।
हरिकंता हरिवासे, वेरुलिए चेव कूडा उ ॥ १ ॥ ( संग्रहणी - गाथा )
93. In Jambu continent, south of Mandar Mountain on Mahahimavan Varshadhar mountain there are eight koots (peaks ) – ( 1 ) Siddhakoot, (2) Mahahimavan koot, (3) Himavan koot, (4) Rohit koot, (5) Hri koot, (6) Harikant koot, (7) Harivarsh koot and (8) Vaidurya koot. 94. In Jambu continent, north of Mandar Mountain, on Rukmi Varshadhar mountain there are eight koots (peaks ) - ( 1 ) Siddha koot, (2) Rukmi koot, ( 3 ) Ramyak koot, (4) Narakant koot, (5) Buddhi koot, (6) Rupya koot, (7) Hairanyavar and (8) Manikanchan koot.
९५. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं रुयगवरे पव्यते अट्ठ कूडा पण्णत्ता,
रिट्ठे तवणिज्ज कंचणा, रयत दिसासोत्थिते पलंबे य । अंजणे अंजणपुलए, रुयगस्स पुरित्थमे कूडा ॥१ ॥
तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवसंति, दुत्तरायणंदा, आणंदा दिवद्वणा ।
तं जहा
विजया य वेजयंती, जयंती अपरााजिया ॥ २ ॥
तं जहा
९५. जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मन्दर पर्वत के पूर्व में रुचकवर पर्वत के ऊपर आठ कूट हैं, जैसे - (१) रिष्ट कूट, (२) तपनीय कूट, (३) कांचन कूट, (४) रजत कूट, (५) दिशास्वस्तिक कूट, (६) प्रलम्ब कूट, (७) अंजन कूट, (८) अंजनपुलक कूट।
उन कूटों पर महाऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थिति वाली आठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएँ रहती हैं । ( 9 ) नन्दोत्तरा, (२) नन्दा, (३) आनन्दा, (४) नन्दिवर्धना, (५) विजया, (६) वैजयन्ती, (७) जयन्ती, (८) अपराजिता ।
स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
ॐ ॐ ॐ फ्र
फ्र
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