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55555555555555555555555555555555555 5 parivart (infinite Avasarpini and Utsarpini), (6) Atita addha (past),
(7) Anagat addha (future) and (8) Sarva addha (past, present and future). fi (for more details see Hindi Tika, part-2, p. 539) - विवेचन-जिस काल की गणना संख्या द्वारा नहीं हो सकती केवल उपमा द्वारा समझाया जा सकता 卐 है, उसे औपमिक काल कहा जाता है। (१) पल्य की उपमा से समझाया जाने वाला-पल्योपम। (२) दस 5 करोडा कोड पल्यों का एक सागरोपम। (३-४) दस करोडा करोड सागरोपम का एक उत्सर्पिणी तथा
एक उत्सर्पिणी। (५) अनन्त उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी का एक पुद्गल परावर्तन। (६-७) बीता हुआ काल ॐ अतीत अद्धा तथा भविष्य काल अनागत अद्धा। (८) तीनों काल के समयों को मिलाने से 'सर्वाद्धा' क कहलाता है। (विस्तृत विवरण हेतु देखें-हिन्दी टीका भाग-२ पृष्ठ ५३९)
Elaboration—The period of time beyond the scope of numbers can only be explained by metaphors. This is called metaphoric or conceptual timescale. (1) That which is explained by the analogy of palya (silo) is called Palyopam. (2) Ten koda-kod (one thousand trillion Palyopam make one Sagaropam. (3,4) One thousand trillion Sagaropam make one Utsarpini or one Avasarpini. (5) Infinite Utsarpini-Avasarpini make one Pudgal 15 Paravartan. (6,7) Past time is Ateet Addha and future time is Anagat
Addha. (8) When all three past, present and future are combined it is 卐 call Sarva Addha. (for more details see Hindi Tika, part-2, p. 539) अरिष्टनेमि-पद ARISHTANEMI-PAD (SEGMENT OF ARISHTANEMI)
४०. अरहतो णं अरिट्ठणेमिस्स जाव अट्ठमातो पुरिसजुगातो जुगंतकरभूमी। दुवासपरियाए अंतमकासी।
४०. अर्हत् अरिष्टनेमि से आठवें पुरुषयुग तक युगान्तकर भूमि रही-(मोक्ष जाने का क्रम चालू रहा, आगे नहीं)। अर्हत् अरिष्टनेमि के केवलज्ञान प्राप्त करने के दो वर्ष बाद ही उनके शिष्य मोक्ष जाने लगे थे।
40. Yugantakar Bhumi (age of being liberated) continued from Arhat Arishtanemi to his eighth successor and not after that. Two years after Arhat Arishtanemi attained Keval-jnana, his disciples had started getting liberated.
महावीर-पद MAHAVIR-PAD (SEGMENT OF MAHAVIR) । ४१. समणेणं भगवता महावीरेणं अट्ठ रायाणो मुंडे भवेत्ता अगाराओ अणगारितं पव्वाइया, तं जहा
वीरंगए वीरजसे, संजय एणिज्जए य रायरिसी। सेये सिवे उद्दायणे, तह संखे कासिवद्धणे॥१॥ (संग्रहणी-गाथा)
अष्टम स्थान
(379)
Eighth Sthaan
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