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3 2. Gramineous plant-bodied beings are of eight kinds-(1) mool (root), (2) kand (bulbuous root), (3) skandh (trunk), (4) tvacha (bark), (5) shakha (branch), (6) praval (sprout), (7) patra (leaf) and (8) pushp (flower).
संयम-असंयम-पद SAMYAM-ASAMYAM-PAD
(SEGMENT OF DISCIPLINE AND INDISCIPLINE) ३३. चउरिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स अट्ठविधे संजमे कज्जति, तं जहा-चक्खुमातो सोक्खातो अववरोवेत्ता भवति। चक्खुमएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति। (घाणामातो सोक्खातो , अववरोवेत्ता भवति। घाणामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति। जिब्भामातो सोक्खातो अववरोवेत्ता
भवति। जिन्भामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति)। फासामातो सोक्खातो अववरोवेत्ता भवति। म फासामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति।
३३. चतुरिन्द्रिय जीवों का घात नहीं करने वाले के आठ प्रकार का संयम होता है, जैसे(१-२) चक्षुरिन्द्रिय सम्बन्धी सुख का वियोग तथा दुःख का संयोग नहीं करने से, (३-४) घ्राणेन्द्रिय
सम्बन्धी सुख का वियोग तथा दुःख का संयोग नहीं करने से, (५-६) रसनेन्द्रिय सम्बन्धी सुख का ॐ वियोग तथा दुःख का संयोग नहीं करने से, (७-८) स्पर्शनेन्द्रिय सम्बन्धी सुख का वियोग तथा दुःख का संयोग नहीं करने से।
33. A being not indulging in harming or killing of four-sensed beings has eight kinds of discipline--That related to not terminating the pleasure derived through and not enforcing the experienced through-(1,2) chakshurindriya (sense organ of seeing).
(3,4) ghranendriya (sense organ of smell), (5, 6) rasanendriya (sense + organ of taste) and (7,8) sparshendriya (sense organ of touch).
३४. चउरिंदिया णं जीवा समारभमाणस्स अट्ठविधे असंजमे कज्जति, तं जहा-चक्खुमातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति। चक्खुमएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति। जिभामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति, जिब्भामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति)। फासामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति। फासामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति।
३४. चतुरिन्द्रिय जीवों का घात करने वाले के आठ प्रकार का असंयम होता है-5 (१-२) चक्षुरिन्द्रिय सम्बन्धी सुख का वियोग करने एवं दुःख का संयोग करने से, (३-४) घ्राणेन्द्रिय ॐ सम्बन्धी सुख का वियोग एवं दुःख का संयोग करने से, (५-६) रसनेन्द्रिय सम्बन्धी सुख का वियोग एवं के म दुःख का संयोग करने से, (७-८) स्पर्शनेन्द्रिय सम्बन्धी सुख का वियोग एवं दुःख का संयोग करने से।
34. A being indulging in harming or killing of four sensed beings has eight kinds of indiscipline-That related to terminating the pleasure derived through and enforcing the misery experienced through
स्थानांगसूत्र (२)
(376)
Sthaananga Sutra (2)
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