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हवइ पुण सत्तमी तमिमम्मि आहारकालभावे य।
आमंतणी भवे अट्ठमी उ जह हे जुवाण ! त्ति॥६॥ (संग्रहणी-गाथाएँ) । २४. वचन -विभक्तियाँ आठ प्रकार की है-(१) निर्देश (नमोच्चारण) में प्रथमा विभक्ति होती है।
(२) उपदेश क्रिया से व्याप्त कर्म के प्रतिपादन में द्वितीया विभक्ति होती है। (३) क्रिया के प्रति साधकतम ॐ कारण के प्रतिपादन में तृतीय या विभक्ति होती है। (४) सत्कार-पूर्वक दिये जाने वाले पात्र को देने, ' + नमस्कार आदि करने के अर्थ में चतुर्थी विभक्ति होती है। (५) पृथक्ता, पतनादि अपादान बताने के अर्थ है
में पंचमी विभक्ति होती है। (६) स्वामित्त्व-प्रतिपादन करने के अर्थ में षष्ठी विभक्ति होती है। फ़ (७) सन्निधान का आधार बताने के अर्थ में सप्तमी विभक्ति होती है। (८) किसी को सम्बोधन करने या ॥
पुकारने के अर्थ में अष्टमी विभक्ति होती है। ॐ (१) प्रथमा विभक्ति का चिह्न-वह, यह, मैं, आप, तुम आदि। (२) द्वितीया विभक्ति का चिह्न-को, म 卐 इसको कहो, उसे करो आदि। (३) तृतीया विभक्ति का चिह्न-से, द्वारा, जैसे- गाड़ी से या गाड़ी के द्वारा + आया, मेरे द्वारा किया गया आदि। (४) चतुर्थी विभक्ति का चिह्न-लिए, जैसे-गुरु के लिए नमस्कार ॐ आदि। (५) पंचमी विभक्ति का चिह्न-जैसे घर ले जाओ, यहाँ से ले जा आदि। (६) षष्ठी विभक्ति का + चिह्न-यह उसकी पस्तक है. वह इसकी है आदि। (७) सप्तमी विभक्ति का चिह्न-जैसे उस चौकी पर
पुस्तक, इस पर दीपक आदि। (८) अष्टमी विभक्ति का चिह्न-हे युवक, हे भगवान आदि। ki 24. There are eight kinds of vachan-vibhaktis (inflections or case+ endings) of words (in Sanskrit grammar)—(1) The first vachan-vibhakti
(case-ending) is used for indication (nirdesh) of the meaning of the word
including its gender and number (Nominative case). (2) The second 卐 vachan-vibhakti (case-ending) is used for advice (upadesh) (Accusative
case). (3) The third vachan-vibhakti (case-ending) is used for instrument (karan) (Instrumental case). (4) The fourth vachan-vibhakti (caseending) is used for recipient (sampradan) (Dative case). (5) The fifth vachan-vibhakti (case-ending) is used for the object from which something is separated (apadan) (Ablative case). (6) The sixth vachanvibhakti (case-ending) is used to indicate the relation of one's ownership (sva-svamitva) (Genitive case). (7) The seventh vachan-vibhakti (caseending) is used to mean the receptacle of something (sannidhan) (Vocative case). (8) The eighth vachan-vibhakti (case-ending) is used in addressing (amantran) someone.
(1) The example of the first vachan-vibhakti (case-ending) in the sense of indication (nirdesh) is so (he), imo (this person), or aham (I). (2) The example of the second vachan-vibhakti (case-ending) in the sense of advice (upadesh) is imam bhan (speak this), tam kunasu (do that). (3) The example of the third vachan-vibhakti (case-ending) in the sense
5555555555555)55555555555555)))))))))))))
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| स्थानांगसूत्र (२)
(372)
Sthaananga Sutra (2)
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