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| चित्र परिचय-१ |
Illustration No. 1
जाति आशीविष
माताहा
जिसके जन्म से ही दाढ़ों में अथवा जन्मजात विष होता है, उसे जाति आशीविष कहा जाता है।
(१) बिच्छू की पूँछ में जहर होता है। अति विशालकाय बिच्छू के विष में इतनी उत्कृष्ट सामर्थ्य होती है कि वह क्रमशः फैलता हुआ आधे भरत क्षेत्र तक फैल सकता है।
(२) मेंढक की दाढ़ों में रहे विष का उत्कृष्ट प्रभाव सम्पूर्ण छह खण्ड भरत क्षेत्र तक व्याप्त हो सकता है। (३) सर्प जाति के विष का उत्कृष्ट प्रभाव सम्पूर्ण जम्बूद्वीप तक फैल सकता है।
(४) मनुष्य अपने मुख (दाढ़ों) के विष से सम्पूर्ण ढाई द्वीप तक को प्रभावित कर सकता है। किन्तु आज तक किसी ने इतनी सामर्थ्य का उपयोग नहीं किया है।
-स्थान ४, सूत्र ५१४
करण्डक दृश्य-२
(१) चर्मकार करण्डक-जिसमें चमड़े के टुकड़े या चमड़ा छीलने के औजार रखे रहते हैं। (२) वेश्या करण्डक-वेश्या अपनी पेटी में लाख, पीतल, चाँदी आदि के साधारण आभूषण भरकर रखती है। (३) गृहपति करण्डक-श्रेष्ठी अपने बक्से में सोने, मोती आदि के कीमती आभूषण रखता है। (४) राज-करण्डक-राजा अपने बक्से में अत्यन्त मूल्यवान हीरे आदि के आभूषण रखता है। ये चारों क्रमशः एक-दूसरे से श्रेष्ठ माने गये हैं।
-स्थान ४, सूत्र ५४१ JATI-ASHIVISH First Ilustration
A jati-ashivis being is poisonous by birth.
(1) A scorpion has poison in its tail. The poison of a giant scorpion is so strong that spreading gradually it can harm bodies living in half the area of Bharat.
(2) The venom of a frog can harm bodies living in the whole area of Bharat. (3) The venom of a snake can harm bodies living in the whole area of Jambu Dveep.
(4) The venom of a man can harm bodies living in the whole area of Adhai Dveep. However no one has ever employed all that strength.
--Sthaan 4, Sutra 514
KARANDAK Second Illustration
(1) Box of a shoemaker-contains leather cutting tools and pieces of leather.
(2) Box of a prostitute-contains ordinary ornaments made of silver, brass shellac etc.
(3) Box of householder---contains costly ornaments made of real pearls and gold. (4) Box of a king contains invaluable diamond studded ornaments. Each one of these is better than the preceding one.
-Sthaan 4, Sutra 541
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