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म १५०. जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सौमनस वक्षस्कारपर्वत पर सात कूट हैं-(१) सिद्धकूट,
(२) सौमनसकूट, (३) मंगलावतीकूट, (४) देवकुरुकूट, (५) विमलकूट, (६) कांचनकूट, (७) विशिष्टकूट। म १५१. जम्बूद्वीप नामक द्वीप में गन्धमादन वक्षस्कारपर्वत पर सात कूट हैं-(१) सिद्धकूट, - (२) गन्धमादनकूट, (३) गन्धिलावतीकूट, (४) उत्तरकुरुकूट, (५) स्फटिककूट, (६) लोहिताक्षकूट, 卐 (७) आनन्दनकूट।
150. In Jambu Dveep on the Saumanas Vakshaskar mountain there are seven koots (peaks)-(1) Siddhakoot. (2) Saumanas-koot. (3) Mangalavatikoot, (4) Devakurukoot, (5) Vimal-koot, (6) Kaanchankoot and (7) Vishishtakoot.
151. In Jambu Dveep on the Gandhamadan Vakshaskar mountain there are seven koots (peaks)-(1) Siddhakoot, (2) Gandhamadan
koot, (3) Gandhilavatikoot, (4) Uttarakurukoot, (5) Sphatik-koot, 45 (6) Lohitaksh-koot and (7) Anandan-koot.
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gorrasileira KULAKOTI-PAD (SEGMENT OF SPECIES)
१५२. बिइंदियाणं सत्त जाति-कुलकोडि-जोणीपमुह-सयसहस्सा पण्णत्ता।
१५२. द्वीन्द्रिय जाति की सात लाख योनि प्रमुख कुलकोटि हैं। ____152. Dvindriya (two-sensed beings) have seven lac (hundred ॐ thousand) species (jati kulakoti) in their genuses (yoni pramukh)
विवेचन-योनि का अर्थ है-उत्पत्ति स्थान। जाति कुलकोटि का अर्थ है, उसमें उत्पन्न होने वाले जीवों के विभिन्न प्रकार व कुल। जैसे गोबर में अनेक जाति के कृमि उत्पन्न होते हैं। उन सबको सामूहिक रूप 卐 में कुल कहते हैं। वृत्तिकार के अनुसार द्वीन्द्रिय जीवों की योनियाँ दो लाख और कुल कोटियाँ सात लाख हैं। (हिन्दी टीका भाग-२ पृष्ठ)
Elaboration-Yoni means place of birth or genus. Jati kulakoti means various species in that particular jati or class. For example numerous species of worms are born in cow dung; they are collectively called kula. According to the commentator (Vritti) two-sensed beings have two lac genuses and seven lac species.
पापकर्म-पद PAAP-KARMA-PAD (SEGMENT OF DEMERITORIOUS KARMA) म १५३. जीवा णं सत्तट्ठाणणिव्वत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, * तं जहा-णेरइयनिव्वत्तिते, (तिरिखजोणियणिव्यत्तिते, तिरिक्खजोणिणीणिबत्तिते, मणुस्सणिव्वत्तिते,
मणुस्सीणिव्वत्तिते), देवणिव्वत्तिते, देवीणिव्वत्तिते। एवं-चिण- (उवचिण-बंध-उदीर-वेद तह) फणिज्जरा चेव।
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सप्तम स्थान
(347)
Seventh Sthaan
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