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851))) faith, (4) chakshu darshan-common visual perception through eyes,
(5) achakshu darshan-common sensual perception through mind and 41 sensual organs other than eyes, (6) avadhi darshan-sensual perception of 4
subjects of avadhi-jnana (distant things) preceding attainment of avadhijnana and (7) Keval darshan-common perception of general properties of all things.
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छद्मस्थ-केवलि-पद CHHADMASTH-KEVALI-PAD
(SEGMENT OF CHHADMASTH-KEVALI) ७७. छउमत्थ-वीयरागे णं मोहणिज्जवज्जाओ सत्त कम्मपयडीओ वेदेति, तं जहाणाणावरणिजं दंसणावरणिज्जं, वेयणिज्जं, आउयं, णाम, गोतं, अंतराइयं।
७७. छद्मस्थ वीतरागी साधु (ग्यारहवें और बारहवें गुणस्थानवर्ती) मोहनीय कर्म को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है (१) ज्ञानावरणीय, (२) दर्शनावरणीय, (३) वेदनीय, (४) आयुष्य, (५) नाम, (६) गोत्र, (७) अन्तराय।
77. A chhadmasth (one who is short of omniscience due to residual karmic bondage) vitarag (devoid of attachment and aversion) experiences or suffers all seven karma-prakritis (species of karmas) other than mohaniya karma—(1) Jnanavaraniya, (2) Darshanavaraniya, (3) Vedaniya, (4) Ayushya, (5) Naam, (6) Gotra and (7) Antaraya.
७८. सत्त ठाणाइं छउमत्थे सब्वभावेणं ण याणति ण पासति, तं जहा-धम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकायं, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सदं, गंधं। ___ एयाणि चेव उप्पण्णणाण (दसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं) जाणति पासति, तं जहाधम्मत्थिकायं, [ अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकायं, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सदं ], गंध। ॥
७८. छद्मस्थ जीव सात पदार्थों को सम्पूर्ण रूप से न तो जान पाता है और न ही देख पाता है卐 (१) धर्मास्तिकाय, (२) अधर्मास्तिकाय, (३) आकाशास्तिकाय, (४) शरीररहित जीव, (५) परमाणु ऊ पुद्गल, (६) शब्द, (७) गन्ध।
जिनको केवलज्ञान-दर्शन उत्पन्न हुआ है वे अर्हन्, जिन, केवली इन सात पदार्थों को सम्पूर्ण रूप से + जानते देखते हैं-(१) धर्मास्तिकाय, (२) अधर्मास्तिकाय, (३) आकाशास्तिकाय, (४) शरीर रहित , जीव, (५) परमाणु पुद्गल, (६) शब्द, (७) गन्ध।
78. Achhadmasth (a person in state of karmic bondage) person cannot see or know seven things fully (all their possible modes) (1) Dharmastikaya (motion entity), (2) Adharmastikaya (inertia entity), (3) Akashastikaya (space entity), (4) disembodied soul, (5) ulti particle of matter, (6) shabd (sound) and (7) gandh (smell).
| स्थानांगसूत्र (२)
(320)
Sthaananga Sutra (2)
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