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தததததததததததததததததததததததததி****தமிழி
infernal being in the Apratishthan infernal abode in the seventh Prithvi in the lower world.
मल्ली- प्रवज्या- पद MALLI PRAVRAJYA-PAD (SEGMENT OF INITIATION OF MALLI)
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७५. मल्ली णं अरहा अप्पसत्तमे मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्यइए, तं जहा - मल्ली विदेहरायवरकण्णगा, पडिबुद्धी इक्खागराया, चंदच्छायए अंगराया, रुप्पी कुणालाधिपती, कासीराया, अदीणसत्तू कुरुराया, जितसत्तू पंचाल राया।
७५. मल्ली अर्हत् अपने सहित सात राजाओं के साथ मुण्डित होकर अगार से अनगारिता में प्रव्रजित हुए - (१) विदेहराज की श्रेष्ठकन्या मल्ली । (२) साकेत निवासी इक्ष्वाकुराज प्रतिबुद्धि । (३) अंग जनपद का 5 राजा चम्पा निवासी चन्द्रच्छाया । (४) कुणाल जनपद का राजा श्रावस्ती निवासी रुक्मी (५) काशी जनपद का राजा वाराणसी निवासी शंख । (६) कुरु देश का राजा हस्तिनापुर निवासी अदीनशुत्र । (७) पञ्चाल जनपद का राजा कम्पिल्लपुर निवासी जितशत्रु। (ज्ञातासूत्र अध्ययन १९ में विस्तृत वर्णन है)
75. Malli Arhat tonsured her head, renounced the household and got initiated into the ascetic order in a group of seven rulers (inclusive of herself) – ( 1 ) Malli, the virtuous daughter of the king of Videh. 5 (2) Pratibuddha, the Ikshvaku king of Saket ( 3 ) Chandrachchhaya, the 5 king of Champa the capital of Anga country. (4) Rukmi, the king of 卐 Shravasti the capital of Kunal country. (5) Shankh, the king of Varanasi the capital of Kashi country. (6) Adinashatru, the king of Hastinapur the
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5 capital of Kuru country. ( 7 ) Jitashatru, the king of Kampillapur the
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capital of Panchal country. (for more details refer to Illustrated Jnata Sutra, Chapter 19)
दर्शन - पद DARSHAN PAD (SEGMENT OF PERCEPTION/FAITH)
७६. सत्तविहे दंसणे पण्णत्ते, तं जहा सम्मद्दंसणे, मिच्छद्दंसणे, सम्मामिच्छदंसणे, चक्खुदंसणे, अचक्खुदंसणे, ओहिदंसणे, केवलद
७६. दर्शन सात प्रकार का है - ( 9 ) सम्यग्दर्शन - यथार्थ श्रद्धान । (२) मिथ्यादर्शन - अयथार्थ फ श्रद्धान। (३) सम्यग्मिथ्यादर्शन - मिश्र श्रद्धान। ( ४ ) चक्षुदर्शन - आँखों से सामान्य प्रतिभास रूप 5 अवलोकन । (५) अचक्षुदर्शन-आँखों के सिवाय शेष इन्द्रियों एवं मन से होने वाला सामान्य प्रतिभासरूप अवलोकन । (६) अवधिदर्शन -अवधिज्ञान होने के पूर्व अवधिज्ञान के विषयभूत पदार्थ का सामान्य प्रतिभासरूप अवलोकन । (७) केवलर्शन- समस्त पदार्थों के सामान्य धर्मों का अवलोकन ।
संखे
76. Darshan (perception/faith) is of seven kinds-(1) Samyagdarshan
फ right perception/ faith, ( 2 ) mithyadarshan - wrong or false perception/
faith, (3) samyagmithyadarshan-mixed or right and wrong perception/
सप्तम स्थान
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Seventh Sthaan
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