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चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक FOURTH STHAAN (Place Number Four) : FOURTH LESSON
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म प्रसर्पक-पद PRASARPAK-PAD (SEGMENT OF ITINERANT) __५०९. चत्तारि पसप्पगा पण्णत्ता, तं जहा-(१) अणुप्पण्णाणं भोगाणं उप्पाएत्ता एगे पसप्पए, (२) पुबुप्पण्णाणं भोगाणं अविप्पओगेणं एगे पसप्पए, (३) अणुप्पण्णाणं सोक्खाणं उप्पाइत्ता एगे पसप्पए, (४) पुब्बुप्पण्णाणं सोक्खाणं अविप्पओगेणं एगे पसप्पए।
५०९. प्रसर्पक चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई अप्राप्त भोगों को प्राप्त करने के लिए देश-विदेश में भ्रमण करता है, (२) कोई भोग जनित प्राप्त भोगों के संरक्षण के लिए, (३) कोई अप्राप्त सुखों को प्राप्त करने के लिए, और (४) कोई प्राप्त सुखों के संरक्षण के लिए प्रयत्न करता रहता है।
509. Prasarpak (itinerants) are of four kinds-(1) Someone takes to itinerant life (moving around within and outside the country) in order to seek unobtained bhogas (enjoyments). (2) Someone takes to itinerant life in order to sustain obtained experiences. (3) Someone takes to itinerant life in order to seek unavailable happiness (through gratifying
experiences). (4) Someone takes to itinerant life in order to sustain 4 F available happiness.
आहार-पद AHAR-PAD (SEGMENT OF FOOD) __५१०. णेरइयाणं चउविहे आहारे पण्णत्ते, तं जहा-इंगालोवमे, मुम्मुरोवमे, सीतले, हिमसीतले।
५१०. नारकीय जीवों का आहार चार प्रकार का है-(१) अंगारोपम-अंगार के समान 5 अल्पकालीन दाह उत्पन्न करने वाला, (२) मुर्मुरोपम-मुर्मुर भोभर की अग्नि के समान दीर्घकाल तक
दाह उत्पन्न करने वाला, (३) शीतल-शीत वेदना उत्पन्न करने वाला, और (४) हिमशीतल-अत्यन्त : शीत वेदना उत्पन्न करने वाला आहार।
510. The ahar (food) of naarakiya jivas (infernal beings) is of four si kinds-(1) angaropam (spark-like)-that which gives spark-like short lived suffering of burn, (2) murmuropam (oven-like)-that which gives sustained suffering of burn like hot ash of a oven, (3) sheetal (cold)— which gives suffering of cold and (4) himasheetal (ice-like cold)—which gives extreme suffering of intense cold.
विवेचन-जिन नरकों में उष्णवेदना निरन्तर रहती है, वहाँ के नारक अंगारोपम और मुर्मुरोपम मृत्तिका का आहार करते हैं और जिन नरकों में शीतवेदना निरन्तर रहती है वहाँ के नारक शीतल +
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गागागागाग नागगगगगगगगगगना
चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
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Fourth Sthaan : Fourth Lesson
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