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करते हैं, उनकी उचित प्रकार से यथासमय गण को सम्यक वाचना देवें। (४) आचार्य और उपाध्याय , गण के ग्लान (रुग्ण) और शैक्ष (नवदीक्षित) साधुओं की वैयावृत्त्य के लिए सदा सावधान रहें।
(५) आचार्य और उपाध्याय गण को पूछकर अन्य प्रदेश में विहार करें, उसे पूछे बिना विहार न करें। (६) आचार्य और उपाध्याय गण के लिए अनुपलब्ध उपकरणों को यथाविधि उपलब्ध कराएँ।
(७) आचार्य और उपाध्याय गण में प्राप्त उपकरणों का सम्यक् प्रकार से संरक्षण एवं संगोपन करें, में असम्यक् प्रकार से-विधि का अतिक्रमण कर संरक्षण और संगोपन न करें।
6. For an acharya and upadhyaya there are seven sangrahasthaan (means of proper management -
(1) In the gana the acharya and upadhyaya should ensure proper F implementation of directive and interdictive commands (ajna and
dharana). (2) In the gana the acharya and upadhyaya should er proper implementation of code of protocol in all activities including
greetings (yatharatnik kritikarma). (3) In the gana the acharya and Eupadhyaya should ensure proper implementation of their duty of A scheduled and methodical recitation of the scriptures they know. (4) In
the gana the acharya and upadhyaya should always remain alert to ensure proper care of the sick and newly initiated ascetics. (5) In the gana the acharya and upadhyaya should ensure proper implementation
of their obligation of seeking permission of the gana before traveling to 5 another area and refrain from traveling without permission. (6) In the
gana the acharya and upadhyaya should ensure timely supply of required ascetic-equipment (upakaran) following the prescribed procedure. (7) In the gana the acharya and upadhyaya should ensure
proper care and storage of equipment received in the gana, and avoid 5 improper care and storage, transgressing the prescribed code. असंग्रहस्थान-पद ASANGRAHASTHAAN-PAD
(SEGMENT OF IMPROPER MANAGEMENT) ७. आयरिय-उवज्झायस्स णं गणंसि सत्त असंगहठाणा पण्णत्ता, तं जहा
(१) आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि आणं वा धारणं वा णो सम्मं पुउंजित्ता भवति। (२) [ आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि आहाराइणियाए कितिकम्मं णो सम्मं पउंजित्ता भवति। (३) आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि जे सुत्तपज्जवजाते धारेति ते काले-काले णो सम्ममणुप्पवाइत्ता भवति। (४) आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि गिलाणसेहवेयावच्चं णो सम्ममन्भुट्टित्ता भवति।
(५) आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि अणापुच्छियचारी यावि हवइ, णो आपुच्छियचारी। i (६) आयरिय-उवज्झाए णं गणंसिं अणुप्पण्णाइं उवगरणाई णो सम्मं उप्पाइत्ता भवति।
गगाना
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सप्तम स्थान
(283)
Seventh Sthaan
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