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१७. सात - (सुख) छह प्रकार का है - ( १ ) श्रोत्रेन्द्रिय-सुख, [ ( २) चक्षुरिन्द्रिय-सुख,
(३) घ्राणेन्द्रिय-सुख, (४) रसनेन्द्रिय-सुख, (५) स्पर्शनेन्द्रिय - सुख ], (६) नोइन्द्रिय- ( मन ) का सुख ।
१८. असात - (दुःख) छह प्रकार का है - ( १ ) श्रोत्रेन्द्रिय- असुख, [ ( २ ) चक्षुरिन्द्रिय- असुख, (३) घ्राणेन्द्रिय- असुख, (४) रसनेन्द्रिय- असुख ], (५) स्पर्शनेन्द्रिय- असुख, ] (६) नोइन्द्रिय- असुख ।
ததிதமிழகததமிமிமிமிமிமிமிமிழில்
asaat, (5) sparshendriya asaat and (6) noindriya asaat.
प्रायश्चित्त- पद PRAYASHCHIT-PAD (SEGMENT OF ATONEMENT)
5 विवेगारिहे, विउस्सग्गारिहे, तवारिहे।
१९. छव्विहे पायच्छित्ते पण्णत्ते, तं जहा-आलोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे,
17. Saat (happiness or pleasure) is of six kinds-(1) shrotendriya saat (pleasure in listening ), ( 2 ) chakshurindriya saat, (3) ghranendriya saat, 卐 (4) rasanendriya saat, (5) sparshendriya saat and (6) noindriya saat. 卐 18. Asaat ( unhappiness or pain) is of six kinds - (1) shrotendriya asaat, फ
(2) chakshurindriya asaat, (3) ghranendriya asaat, (4) rasanendriya 5
(requiring both alochana and pratikraman) (4) requiring vivek (sagacity),
तदुभयारिहे,
फ (5) requiring vyutsarg (abstainment) and (6) requiring tap ( austerities).
5 (In tenth sthaan, aphorism 73 ten kinds of atonement have been listed with brief definitions.)
मनुष्य-पद MANUSHYA-PAD (SEGMENT OF HUMAN BEINGS)
२०. छव्हिा मणुस्सा पण्णत्ता, तं जहा- जंबूदीवगा, धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धगा, धायइसंडदीवपच्चत्थिमद्धगा, पुक्खवरदीवड्ढपुरत्थिमद्धगा, पुक्खरवरदीवड्डपच्चत्थिमद्धगा, अंतरदीवगा ।
१९. प्रायश्चित्त छह प्रकार का है - (१) आलोचना - योग्य, (२) प्रतिक्रमण - योग्य, (३) तदुभय- फ्र
२०. मनुष्य छह प्रकार के होते हैं - ( १ ) जम्बूद्वीप में उत्पन्न, (२) धातकीषण्डद्वीप के पूर्वार्ध में उत्पन्न, (३) धातकीषण्डद्वीप के पश्चिमार्ध में उत्पन्न, (४) पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध में उत्पन्न, (५) पुष्करवरद्वीपार्ध के पश्चिमार्ध में उत्पन्न, (६) अन्तद्वीपों में उत्पन्न ।
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योग्य, (४) विवेक - योग्य, (५) व्युत्सर्ग- योग्य, (६) तप - योग्य । ( दशम स्थान सूत्र ७३ पर प्रायश्चित्त 5 के दस भेद बताये हैं, वहीं पर इनकी संक्षिप्त परिभाषा भी दी है ।)
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अथवा मनुष्य छह प्रकार के होते हैं - ( १ ) कर्मभूमि में उत्पन्न होने वाले सम्मूर्च्छिम मनुष्य, (२) अकर्मभूमि में उत्पन्न होने वाले सम्मूर्च्छिम मनुष्य, (३) अन्तद्वीपों में उत्पन्न होने वाले सम्मूर्च्छिम
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19. Prayashchit ( atonement) is of six kinds - ( 1 ) requiring alochana फ्र
(criticism), (2) requiring pratikraman (critical review), (3) tadubhaya F
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Sixth Sthaan
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अहवा - छव्विहा मणुस्सा पण्णत्ता, तं जहा - संमुच्छिममणुस्सा - कम्मभूमगा, अकम्मभूमगा, 5 अंतरदीवगा, गब्भवक्कंतिअमणुस्सा-कम्मभूमगा, अकम्मभूमगा, अंतरदीवगा।
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