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चित्र परिचय ८
बादर वनस्पतिकाय
वनस्पतिकायिक जीवों के मुख्य छह प्रकार हैं
(१) अग्र बीज जिनका बीज उनके अग्र भाग में हो जैसे गेहूँ, बाजरा, मक्का आदि। बीज - जिनका मूल में बीज हो । जैसे- आलू, प्याज आदि ।
(२) मूल (३) पर्व बीज - जिनके पर्व में बीज हो । जैसे- गन्ना, बाँस आदि ।
(४) स्कंध बीज - जिनके स्कन्ध (गाँठ) में बीज हो, जिनकी कलम लगती है। जैसे-गुलाब आदि ।
(५) बीज रूह - जिनकी उत्पत्ति बीज से हो ।
(६) सम्मूर्च्छिम - तृण, घास आदि जो बीज न होने पर भी उत्पन्न होती है।
Illustration No. 8
बादर वनस्पतिकाय के दस भेद हैं
जैसे एक विशाल वृक्ष को देखने से पता चलता है, उसकी जड़ से बीज तक दस अंग
हैं
- स्थान ६, सूत्र १२
(१) मूल - जड़, (२) कन्द - जड़ से ऊपर का भाग और स्कंध से नीचे का भाग, (३) स्कन्ध- जहाँ से शाखाएँ निकलती हैं, (४) त्वक्-छाल, (५) शाखा-तना, डालियाँ, (६) प्रवाल- अंकुर या कोपलें, (७) पत्र, (८) पुष्पफूल, (९) फल, और (१०) बीज ।
GROSS PALNT-BODIED BEINGS
There are six main categories of plant-bodied beings
(1) Agra-beej-those which grow when the tip is planted, such as millet, corn and wheat.
-स्थान १०, सूत्र १५५
(2) Mool-beej— those which grow when the root-bulb is planted like potatoes and onions.
(3) Parva-beej-those which grow when the knot is planted like sugar-cane and bamboo.
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(4) Skandh-beej-those which grow when the branch is planted like roses. (5) Beej-ruha-those which grow from seeds.
(6) Sammurchhim-those which grow without seeds, such as wild grass. -Sthaan 6, Sutra 12
There are ten parts of plant-bodied beingsWhen we see a large tree we find that from roots to seeds it has ten parts
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(1) mool (root), (2) kand (bulbous root or portion between roots and trunk), (3) shandh (trunk from where it divides into branches), (4) toak (bark), (5) shakha (branch), (6) praval (sprout), (7) patra (leaf), (8) pushp (flower), (9) phal (fruit), and (10) beej (seed).
-Sthaan 10, Sutra 155
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