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अहवा-छविहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा-एगिदिया, [ बेइंदिया, तेइंदिया, चरिंदिया ], . पंचिंदिया, अणिंदिया।
___ अहवा-छव्विहा सबजीवा पण्णत्ता, तं जहा-ओरालियसरीरी, वेउब्वियसरीरी, आहारगसरीरी, तेअगसरीरी, कम्मगसरीरी, असरीरी।
११. सब जीव छह प्रकार के हैं-(ज्ञान की अपेक्षा) (१) आभिनिबोधिकज्ञानी, [(२) श्रुतज्ञानी, (३) अवधिज्ञानी, (४) मनःपर्यवज्ञानी], (५) केवलज्ञानी और (६) अज्ञानी (मिथ्याज्ञानी)। ___ अथवा-सब जीव छह प्रकार के हैं। (इन्द्रियों की अपेक्षा) (१) एकेन्द्रिय, (२) द्वीन्द्रिय, (३) त्रीन्द्रिय, (४) चतुरिन्द्रिय, (५) पंचेन्द्रिय, (६) अनिन्द्रिय (सिद्ध)। ____ अथवा-सब जीव छह प्रकार के हैं। (शरीर की अपेक्षा) (१) औदारिकशरीरी, (२) वैक्रियशरीरी, (३) आहारकशरीरी, (४) तैजसशरीरी, (५) कार्मणशरीरी और (६) अशरीरी (मुक्तात्मा)। 11. All beings are of six kinds in terms of knowledge)- 4
linibodhik jnani, (2) shrut-jnani, (3) avadhi-jnani, (4) manahparyav i jnani, (5) Keval-jnani and (6) ajnani (having false knowledge).
Also all beings are of six kinds (in terms of sense organs)- Si (1) Ekendriya (one-sensed beings), (2) Duindriya (Two-sensed beings),
(3) Trindriya (three-sensed beings), (4) Chaturindriya (four-sensed 5 beings), (5) Panchendriya-tiryagyonik (five-sensed animal beings) and 5 41 (6) Anindriya (without sense organs; Siddha).
Also all beings are of six kinds (in terms of bodies)-(1) audarik shariri (having gross physical body), (2) vaikriya shariri (having transmutable body), (3) aharak shariri (having telemigratory body), (4) taijas shariri (having fiery body), (5) karman shariri (having karmic
ody) and (6) ashariri (without a body; liberated soul).
तृणवनस्पति-पद TRINA-VANASPATI-PAD (SEGMENT OF GRAMINEOUS PLANTS) ॐ १२. छबिहा तणवणस्सतिकाइया पण्णत्ता, तं जहा-अग्गबीया, मूलबीया, पोरबीया,
खंधबीया, बीयरुहा, संमुच्छिमा। 卐 १२. तृण-वनस्पतिकायिक जीव छह प्रकार के हैं-(१) अग्रबीज (बाजरा-गेहूँ आदि), + (२) मूलबीज (आलू आदि), (३) पर्व बीज (गन्ना, बाँस आदि), (४) स्कन्ध बीज (गुलाब आदि कलम ॐ वाले पौधे) (५) बीजरुह (बीज से उत्पन्न होने वाले) और (६) सम्मूर्छिम (बिना बीज के उत्पन्न होने ॥
वाला घास आदि) 5 12. Trin-vanaspatikayik jiva (gramineous or gross plant-bodied 4 beings) are of six kinds—(1) agra-beej-those which grow when the tip is | स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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