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8. Beings living in the world are of six kinds-(1) Prithvikayik (earth4 bodied beings), (2) Apkayik (water-bodied beings), (3) Tejaskayik (firefi bodied beings), (4) Vayukayik (air-bodied beings), (5) Vanaspatikayik
(plant-bodied beings) and (6) Tras-kayik (mobile-bodied beings). गति-आगति पद GATI-AAGATI-PAD (SEGMENT OF BIRTH FROM AND TO)
९. पुढविकाइया छगतिया छआगतिया पण्णत्ता, तं जहा-पुढविकाइए, पुढविकाइएसु उववज्जमाणे पुढविकाइएहिंतो वा, [ आउकाइएहिंतो वा, तेउकाइएहिंतो वा, वाउकाइएहिंतो वा, वणस्सइकाइएहिंतो वा ], तसकाइएहिंतो वा उववज्जेज्जा।
से चेव णं सा पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा, जाव तसकाइयत्ताए वा गच्छेज्जा। १०. आउकाइया छगतिया एवं छआगतिया चेव जाव तसकाइया।
९. पृथिवीकायिक जीव छह स्थानों से गति और छहस्थानों से आगति करते हैं(१) पृथिवीकायिक जीव पृथिवीकायिकों में उत्पन्न होता हुआ पृथिवीकायिकों से, अप्कायिकों से, तेजस्कायिकों से, वायुकायिकों से, वनस्पतिकायिकों से, या त्रसकायिकों से आकर उत्पन्न होता है।
वही पृथिवीकायिक जीव पृथिवीकायिक पर्याय को छोड़ताहुआ पृथिवीकायिकों में, (अप्कायिकों, - तेजस्कायिकों, वायुकायिकों व वनस्पतिकायिकों में) या त्रसकायिकों में जाकर उत्पन्न होता है। १०. इसी
प्रकार अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक और त्रसकायिक जीव छह स्थानों में गति तथा छह स्थानों से आगति करते हैं।
9. Prithvikayik jiva (earth-bodied beings) have six kinds of gatis (reincarnation to) and six aagatis (reincarnation from)-A being taking birth as an earth-bodied being reincarnates from either earth-bodied
beings, water-bodied beings, fire-bodied beings, air-bodied beings, plant6 bodied beings or mobile-bodied beings.
The same earth-bodied being leaving the state of earth-bodied being 5 reincarnates in the genus of either earth-bodied beings, water-bodied
beings, fire-bodied beings, air-bodied beings, plant-bodied beings or mobile-bodied beings. 10. In the same way water-bodied beings, fire- bodied beings, air-bodied beings, plant-bodied beings or mobile-bodied beings also have six kinds of gatis (reincarnation to) and six aagatis (reincarnation from). जीव-पद JIVA-PAD (SEGMENT OF BEINGS)
११. छविहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा-आभिणिबोहियणाणी, [ सुयणाणी, ओहिणाणी, मणपज्जवणाणी ], केवलणाणी, अण्णाणी।
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