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१८५. पुलाए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - णाणपुलाए, दंसणपुलाए, चरित्तपुलाए, लिंगपुलाए, म अहासुहुमपुलाए णामं पंचमे ।
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5 अतिचारों का सेवन करने वाला । (२) दर्शनपुलाक- शंका, कांक्षा आदि सम्यक्त्व के अतिचारों का सेवन
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(5) Snatak-the Jina at the thirteenth and fourteenth Gunasthaan who has destroyed the four vitiating karmas.
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१८५. पुलाक निर्ग्रन्थ पाँच प्रकार के होते हैं - ( १ ) ज्ञानपुलाक - स्खलित, मिलित आदि ज्ञान के
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185. Pulaak nirgranth are of five kinds-(1) Jnana pulaak-who indulges in transgression related to knowledge, such as skhalit (lowly) and milit (mixed ). ( 2 ) Darshan pulaak - who indulges in transgression related to samyaktva (righteousness), such as indulging in shanka (doubt) F and kanksha (desire ). ( 3 ) Chaaritra pulaak — who commits faults in F observation of basic and auxiliary codes of conduct. (4) Linga pulaak— who keeps more ascetic-equipment than prescribed in scriptures or who uses garb other than that prescribed for a Jain ascetic. (5) Yathasukshma f pulaak - who, out of stupor, thinks of acquiring prohibited things.
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१८६. बउसे पंचविधे पण्णत्ते, तं जहा - आभोगबउसे, अणाभोगबउसे, संवुडबउसे, 5 असंवुडबउसे, अहासुहुमबउसे णामं पंचमे ।
करने वाला । (३) चारित्रपुलाक - मूल गुणों और उत्तर- गुणों में दोष लगाने वाला । ( ४ ) लिंगपुलाक
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5 शास्त्रोक्त उपकरणों से अधिक उपकरण रखने वाला अथवा जैनलिंग से भिन्न लिंग या वेष को बिना फ कारण धारण करने वाला। (५) यथासूक्ष्मपुलाक - प्रमादवश अकल्पनीय वस्तु को ग्रहण करने का मन में विचार करने वाला ।
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१८६. बकुश निर्ग्रन्थ पाँच प्रकार के होते हैं - ( १ ) आभोगबकुश - जान-बूझ कर शरीर की विभूषा करने वाला । (२) अनाभोगबकुश - अनजान में शरीर की विभूषा करने वाला। (३) संवृतबकुशलुक-छिप कर शरीर आदि की विभूषा करने वाला। ( ४ ) असंवृतबकुश - प्रकट रूप से शरीर की विभूषा करने वाला। (५) यथासूक्ष्मबकुश - प्रकट या अप्रकट रूप से शरीर आदि की सूक्ष्म विभूषा करने वाला ।
१८७. कुसीले पंचविधे पण्णत्ते, तं जहा - णाणकुसीले, दंसणकुसीले चरित्तकुसीले लिंगकुसीले, अहासुहुमकुसीले णामं पंचमे ।
पंचम स्थान : तृतीय उद्देशक
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Fifth Sthaan: Third Lesson
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186. Bakush nirgranth are of five kinds-(1) Abhoga bakush-who takes special care of the body intentionally. (2) Anabhog bakush-who takes special care of the body unintentionally. (3) Samvrit bakush-who takes special care of the body furtively. (4) Asamvrit bakush - who takes 5 special care of the body openly. (5) Yathasukshma bakush-who takes special care of the body openly or furtively.
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