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पानामागगगगगाजा'55555555555
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humours or excessive attachment or evil spirits. Upasarg prapt- 15 4 tormented by divine, human or animal affliction. Sadhikarana-ready to 4
quarrel or quarreling. Saprayashchit-apprehensive of atonement. Bhakt-paan-pratyakhyan-stumbling or falling or losing consciousness due to weakness caused by observing ultimate vow or fasting otherwise. Arthajat--being forced or seduced into compromising her modesty by her husband or other person for some specific reason or otherwise. (Vritti, part-2, p. 562-63) आचार्य-उपाध्याय-अतिशेष-पद ACHARYA UPADHYAYAATISHESH-PAD
(SEGMENT OF SPECIAL PRIVILEGE OF ACHARYA AND UPADHYAYA) १६६. आयरिय-उवज्झायस्स णं गणंसि पंच अतिसेसा पण्णत्ता, तं जहा
(१) आयरिय-उवज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए णिगज्झिय-णिगज्झिय पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णातिक्कमति। (२) आयरिय-उवज्झाए अंतो उवस्सयस्स उच्चारपासवणं विगिंचमाणे वा विसोधेमाणे वा णातिक्कमति। (३) आयरिय-उवज्झाए पभू, इच्छा वेयावडियं करेज्जा, इच्छा णो करेजा। (४) आयरिय-उवज्झाए अंतो उवस्सयस्स एगरातं वा दुरातं वा एगओ वसमाणे णातिक्कमति। (५) आयरिय-उवज्झाए बाहिं उवस्सयस्स एगरातं वा दुरातं वा , [एगओ ] वसमाणे णातिक्कमति।
१६६. गण में आचार्य और उपाध्याय के पाँच अतिशेष (अतिशय; विशेष विधियाँ) हैं
(१) आचार्य और उपाध्याय (बाहर से आकर) उपाश्रय के भीतर प्रवेश करने पर पैरों की धूलि को सावधानी से झाड़ते हुए या फटकारते हुए। (२) आचार्य और उपाध्याय उपाश्रय के भीतर उच्चार (मल) और प्रस्रवण (मूत्र) का व्युत्सर्ग और विशोधन (अशुचि की शुद्धि) करते हुए आज्ञा का
अतिक्रमण नहीं करते हैं। (३) आचार्य और उपाध्याय की इच्छा हो तो वे दूसरे साधु की वैयावृत्त्य करें, | इच्छा न हो तो न करें, इसके लिए प्रभु (स्वतन्त्र) हैं। (४) आचार्य और उपाध्याय उपाश्रय के भीतर
एक रात्रि या दो रात्रि अकेले रहते हुए आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते। (५) आचार्य और उपाध्याय उपाश्रय के बाहर एक रात्रि या दो या रात्रि अकेले रहते हुए आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते हैं। ____166. In a gana (group of ascetics) acharya and upadhyaya have five atishesh (special privilege)
(1) Acharya and upadhyaya do not defy the word of Bhagavan if they carefully dust their feet while entering an upashraya (place of stay). (2) Acharya and upadhyaya do not defy the word of Bhagavan if they pass their stool or urine or cleanse it themselves within the upashraya. (3) Acharya and upadhyaya are free of the responsibility of serving other ascetics; they may do or not do as they desire. (4) Acharya and upadhyaya do not defy the word of Bhagavan if they live alone in the upashraya for
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पंचम स्थान : द्वितीय उद्देशक
(175)
Fifth Sthaan : Second Lesson
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