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निर्ग्रन्थी-अवलंबन-पद NIRGRANTHI AVALAMBAN-PAD (SEGMENT OF SUPPORT)
१६५. पंचहि ठाणेहिं समणे णिग्गंथे गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिक्कमति, तं जहा
(१) णिगंथिं च णं अण्णयरे पसुजातिए वा पक्खिजातिए वा ओहातेज्जा, तत्थ णिग्गंथे णिग्गंथिं गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिक्कमति। (२) णिग्गंथे णिग्गंथिं दुग्गंसि वा विसमंसि वा पक्खलमाणिं वा पवडमाणिं वा गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिक्कमति। (३) णिग्गंथे णिगंथिं सेयंसि वा पंकंसि वा पणगंसि वा उदगंसि वा उक्कसमाणिं वा उबुज्झमाणिं वा गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिक्कमति। (४) णिग्गंथे णिगंथिं णावं आरुभमाणे वा ओरोहमाणे वा णातिक्कमति। (५) खित्तचित्तं दित्तचित्तं जक्खाइ8 उम्मायपत्तं उवसग्गपत्तं साहिगरणं सपायच्छित्तं जाव भत्तपाणपडियाइक्खिय अट्ठजायं वा णिग्गंथे णिग्गंथिं गेण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिक्कमति।।
१६५. पाँच कारणों से श्रमण निर्ग्रन्थ, निर्ग्रन्थी को पकड़ता हुआ, अवलम्बन देता हुआ भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण (उल्लंघन) नहीं करता है।
(१) कोई पशुजाति या पक्षीजाति का प्राणी निर्ग्रन्थी को मारने के लिए आक्रमण करे तो वहाँ निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थी को पकड़ता है। या अवलम्बन (हाथ का सहारा) देता है तो (२) दुर्गम या विषम स्थान में फिसलती हुई या गिरती हुई निर्ग्रन्थी को ग्रहण करता है या अवलम्बन देता है, तो (३) दल-दल में या कीचड़ में, या काई में, या जल में फँसी हुई, या बहती हुई निर्ग्रन्थी को निर्ग्रन्थ ग्रहण करता है या अवलम्बन देता है, तो (४) निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थी को नाव में चढ़ाता हुआ या उतारता हुआ भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता है। (५) क्षिप्तचित्त या दृप्तचित्त या यक्षाविष्ट : उन्माद प्राप्त या उपसर्ग प्राप्त, या कलह-रत या प्रायश्चित्त से डरी हुई, या भक्त-पान-प्रत्याख्यात, (उपवासी) या अर्थजात (पति या किसी अन्य द्वारा संयम से च्युत की जाती हुई) निर्ग्रन्थी को ग्रहण करता या अवलम्बन देता है तो, निर्ग्रन्थ भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता है।
165. A Shraman Nirgranth (male ascetic) does not defy the word of Bhagavan if he holds (grahan) and lends support to (avalamban) a nirgranthi (female ascetic)
(1) If a nirgranth holds or supports a nirgranthi when she is attacked by an animal or a bird. (2) If a nirgranth holds or supports a nirgranthi when she slips or falls while crossing a difficult or rugged terrain. (3) If a nirgranth holds or supports a nirgranthi when she is caught in a swamp or mud or is drowning in water. (4) If a nirgranth holds or supports a nirgranthi in order to help her board or disembark a boat. (5) If a nirgranth holds or supports a nirgranthi when she is kshipt-chitt ( crazy), dript-chitt (euphoric), yakshavisht (possessed by spirit), unmaad prapt (mad), upasarg prapt (tormented by affliction), sadhikarana (quarreling), saprayashchit (apprehensive of atonement), bhakt-paanpratyakhyan (fasting), or arthajat (being forced or seduced into
84555555555555555555555555555555555555555558
पंचम स्थान : द्वितीय उद्देशक
(173)
Fifth Sthaan : Second Lesson
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