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सचित्र
स्थानांग सत्र Flustrated STILANANGA SUTRA
स्थानांग सूत्र अपनी विशिष्ट संख्याप्रधान शैली में संकलित स्थानांगसूत्र अनेक दृष्टियों से ज्ञान व सूचना का महत्त्वपूर्ण भण्डार है। इसमें तत्त्व-ज्ञान, आचार-दर्शन के साथ ही ज्योतिष, भूमण्डल, गणित, नीतिशास्त्र, मनोविज्ञान, पुरुष की मन:स्थितियों का दृष्टान्त प्रधान चित्रण आदि विविध विषयों पर सूत्र शैली में वर्णन है।
शास्त्र की विशालता के कारण प्रथम भाग में स्थान १ से ४ के तीसरे स्थान तक की सामग्री है। शेष दसवें स्थान तक दूसरे भाग में है। सूत्र शैली में होने के कारण आगम का आशय स्पष्ट करने के लिए स्थान-स्थान पर संक्षिप्त विवेचन भी किया है। जिसमें संस्कृत टीका तथा अन्य अनेक प्राचीन ग्रन्थों का उपयोग किया है। विद्वान सम्पादक श्री अमर मुनिजी ने विवेचन में काफी ज्ञानवर्धक सामग्री संकलित की है।
SHRI STHAANANGA SUTRA
With its unique numerical style of compilation Shri Sthaananga Sutra is an important compendium of knowledge and information. In erudite aphoristic style it envelopes a variety of subjects including metaphysics, philosophy, code of conduct astrology, cosmology, mathematics, ethics, psychology, and vivid analogical presentation of human psyche. All these subjects are edifying as well as useful in life.
As this is a voluminous work this first part contains Sthaans 1 to third lesson of Sthaan 4. The remaining Sthaans up to the tenth are included in the second part. As its style is aphoristic, brief elaborations have been included where needed. For this many ancient works including the Sanskrit commentary (Tika) have been used. Shri Amar Muni ji M. , the scholarly editor, has compiled ample useful information in elaborations on Interational
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