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गागागागनानागगगगगगगगगगगगग
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These five activities are applicable only to human beings and not in i other dandaks. (This is because iryapathiki kriya is impossible for
anyone except detached human beings belonging to eleventh, twelfth and thirteenth Gunasthans (levels of spiritual purity).
विवेचन-स्थानांग के प्रथम भाग स्थान-२ के सूत्र २ से ३६ तक ७२ प्रकार की क्रियाओं का कथन किया है। वहाँ सभी की संक्षिप्त व्याख्या दी है।
Elaboration-Brief definitions of all these kriyas have been given in 5 Sthananga part-1, Sthaan-2, aphorisms 2 to 36 where 72 types of 4 activities have been listed.
१२३. पंचविहा परिण्णा पण्णत्ता, तं जहा-उवहिपरिण्णा, उवस्सयपरिण्णा, कसायपरिण्णा, जोगपरिण्णा, भत्तपाणपरिण्णा।
१२३. परिज्ञा पाँच प्रकार की है, जैसे-(१) उपधिपरिज्ञा, (२) उपाश्रयपरिज्ञा, (३) कषायपरिज्ञा, (४) योगपरिज्ञा, (५) भक्तपानपरिज्ञा। 5 123. Parijna (sagacity or discerning attitude) is of five kinds—
(1) upadhi parijna, (2) upashruya parijna, (3) kashaya parijna, (4) yoga i 5 parijna and (5) bhaktapaan parijna.
विवेचन-परिज्ञा का अर्थ है, विवेक। उसके दो भेद हैं-ज्ञ परिज्ञा-वस्तु के स्वरूप का यथार्थ ज्ञान और प्रत्याख्यान परिज्ञा-विरक्तिपूर्वक त्याग।
(१) उपधि परिज्ञा-मुखपत्ती, रजोहरण आदि संयम के उपयोगी उपकरणों को ग्रहण करने एवं उपयोग में विवेक रखना। मर्यादा का अतिक्रमण न करना। (२) उपाश्रय परिज्ञा-अकल्पनीय सदोष उपाश्रय-स्थान का त्याग व निर्दोष का सेवन। (३) कषाय परिज्ञा-कषायों को अल्प करने का प्रयत्न तथा संघ, गण या व्यक्ति को हानि पहुँचाने वाली कषाय प्रवृत्ति का निरोध। (४) योग परिज्ञा-मन, वचन, काय योगों की अशुभ प्रवृत्ति का निरोध तथा शुभ में प्रवृत्ति। (५) भक्तपान-परिज्ञा-संयम निर्वाह योग्य निर्दोष व सात्विक आहार का सेवन। (हिन्दी टीका भाग-२ पृष्ठ १२८)
Elaboration Parijna means sagacity or discerning attitude. It has two limbs-jna parijna or the true knowledge of reality and pratyakhyan parijna or to renounce with detachment.
(1) Upadhi parijna-to accept and use muhapatti (mouth cover) rajoharan (ascetic broom) and other ascetic-equipment carefully. (2) Upashraya parijna-to reject a faulty and unsuitable place of stay
and accept faultless one. (3) Kashaya parijna-to make efforts to f generally reduce passions and specifically avoid passion inspired activity f harmful to religous organisation, group or individuals thereof. (4) Yoga
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| पंचम स्थान : द्वितीय उद्देशक
(155)
Fifth Sthaan : Second Lesson 15牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙乐555555555555
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