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________________ )) woman has not acquired karmas responsible for offsprings. For these five reasons a woman does not conceive even on having an intercourse with a man. ))) ) ))) )) )))))55555555555555555555555558 )) ))) ) )) निग्रन्थ निग्रन्थी-एकत्रवास-पद NIRGRANTH NIRGRANTHI EKATRAVAS-PAD (SEGMENT OF MALE AND FEMALE ASCETICS RESIDING TOGATHER) १०७. पंचहिं ठाणेहिं णिग्गंथा णिग्गंथीओ य एगतओ ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा 卐 चेतेमाणा णातिक्कमंति, तं जहा-(१) अत्थेगइया णिग्गंथा य णिगंथीओ य एगं महं अगामियं छिण्णावायं दीहमद्ध-मडविमणुपविट्ठा, तत्थेगयतो ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेतेमाणा + णातिक्कमंति। (२) अत्थेगइया णिग्गंथा य णिग्गंथीओ य गामंसि वा णगरंसि वा (खेडंसि ना कव्वडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा आगरंसि वा णिगमंसि वा आसमंसि वा + सण्णिवेसंसि वा) रायहाणिंसि वा वासं उवागता, एगतिया जत्थ उवस्सयं लभंति, एगतिया णो लभंति, तत्थेगतो ठाणं वा (सेज्जं वा णिसीहियं वा चेतेमाणा) णातिक्कमंति। (३) अत्थेगइया . मणिग्गंथा या णिग्गंथीओ या णागकुमारावासंसि वा सुवण्णकुमारावासंसि वा वासं उवागता, ॐ तत्थेगओ (ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेतेमाणा) णातिक्कमंति। (४) आमोसगा दीसंति, ते म इच्छंति णिग्गंधीओ चीवरपडियाए, पडिगाहित्तए, तत्थेगओ ठाणं वा (सेज्जं वा णिसीहियं वा ॐ चेतेमाणा) णातिक्कमंति। (५) जुवाणा दीसंति, ते इच्छंति णिग्गंथीओ मेहुणपडियाए पडिगाहित्तए, तत्थेगओ ठाणं वा (सेज्जं वा णिसीहियं वा चेतेमाणा) णातिक्कमंति। इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं (णिग्गंथा, णिग्गंथीओ य एगतओ ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा क चेतेमाणा) णातिक्कमंति। १०७. पाँच कारणों से निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियाँ एक स्थान (आवास) पर अवस्थान-(कायोत्सर्ग) शयन और स्वाध्याय करते हुए भगवान् की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते हैं (१) कदाचित् कुछ निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियाँ किसी विशाल बस्ती-शून्य, आवागमनरहित, लम्बे मार्ग वाली अटवी में प्रवेश कर जावें, तो वहाँ एक स्थान पर अवस्थान, शयन और स्वाध्याय करते हुए 5 भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते हैं। (२) यदि कुछ निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियाँ किसी ग्राम में, नगर में, खेट में, कर्वट में, मडम्ब में, पत्तन में, आकर में, द्रोणमुख में, निगम में, आश्रम में, सन्निवेश 5 में अथवा राजधानी में पहुँचे, वहाँ दोनों में से किसी एक वर्ग को उपाश्रय मिला और एक को नहीं है मिला, तो वे एक स्थान पर अवस्थान, शयन और स्वाध्याय करते हुए भगवान की आज्ञा का । अतिक्रमण नहीं करते हैं। (३) यदि कदाचित् कुछ निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियाँ नागकुमार के आवास में या ॐ सुपर्णकुमार के (या किसी अन्य देव के) आवास में निवास के लिए एक साथ पहुंचे तो वहाँ सर्वथा जन #शून्यता से, या अतिजनबहुलता (भीड़-भाड़) आदि कारण से निर्ग्रन्थियों को सुरक्षा के लिए एक स्थान । पर अवस्थान, शयन और स्वाध्याय करते हुए भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते हैं। ॥ )) 5555555555) मागासaanana 855555555 | पंचम स्थान : द्वितीय उद्देशक (149) Fifth Sthaan : Second Lesson Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002906
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages648
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size20 MB
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