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छविच्छेद (अंग का छेदन) करता है, या पमार (मूर्च्छित या मरणासन्न) करता है, या उपद्रव करता है, + वस्त्र, पात्र, कम्बल, पादपोंछन आदि छीनता है, या दूर फेंकता है, या तोड़ता-फोड़ता है, या चुराता है। 5
(२) यह पुरुष अवश्य ही यक्षाविष्ट-(भूत-प्रेतादि से ग्रस्त) है, इसलिए यह मुझ पर आक्रोश करता है 卐 है, या मुझे गाली देता है, या मेरा उपहास करता है, या बाहर निकालने की धमकी देता है, या मेरी 5
| निर्भर्त्सना करता है, या बाँधता है, या रोकता है, या छविच्छेद करता है, या मूर्च्छित करता है, या ॐ उपद्रुत करता है, वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन का छेदन करता है, या विच्छेदन करता है, या भेदन म करता है, या अपहरण करता है
(३) मेरे इस भव में वेदना भोगने योग्य कर्म उदय में आ रहा है, इसलिए यह पुरुष मुझ पर + आक्रोश करता है, मुझे गाली देता है, या मेरा उपहास करता है, या मुझे बाहर निकालने की धमकी
देता है, या निर्भर्त्सना करता है, या बाँधता है, या रोकता है, या छविच्छेद करता है, या मूर्छित करता है, या उपद्रुत करता है, वस्त्र, पात्र, कम्बल, या पादपोंछन का छेदन करता है, या विच्छेदन करता है, या भेदन करता है, या अपहरण करता है।
(४) यदि मैं इन्हें सम्यक् प्रकार अविचल भाव से सहन नहीं करूँगा, क्षान्ति नहीं रखूगा, तितिक्षा 9 नहीं रखूगा और उनसे प्रभावित हो जाऊँगा, तो मुझे क्या होगा? मुझे एकान्त रूप से पापकर्म का 卐 संचय होगा।
(५) यदि मैं इन्हे सम्यक् प्रकार अविचल भाव से सहन करूँगा, क्षान्ति रखूगा, तितिक्षा रखूगा और उनसे प्रभावति नहीं होऊँगा, तो मुझे क्या होगा? एकान्त रूप से कर्म-निर्जरा होगी।
इन पाँच कारणों से छद्मस्थ पुरुष उदय में आये परीषहों और उपसर्गों को सम्यक् प्रकार अविचल के भाव से सहता है, शान्ति रखता है, तितिक्षा रखता है और उनसे अप्रभावित रहता है।
73. For five reasons a chhadmasth (one who is short of omniscience f due to residual karmic bondage) properly and resolutely endures the fi precipitated (udirna) afflictions and torments with forbearance (titiksha) 4 and forgiveness (kshama) remaining unmoved
(1) The karmas of this person have undergone fruition, therefore he is crazy. That is why he is angry at me or abuses me or threatens me to throw out or rebukes me or ties me or stops me or pierces my body or makes me unconscious or torments me or snatches, throws away, breaks, shatters or steals my garb, bowls, ascetic-broom and other equipment.
(2) This person is under the influence of bad spirits. That is why he is angry at me or abuses me or threatens me to throw out or rebukes me or ties me or stops me or pierces my body or makes me unconscious or
torments me or snatches, throws away, breaks, shatters or steals my fi garb, bowls, ascetic-broom and other equipment.
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भएकीक
| पंचम स्थान : प्रथम उद्देशक
(125)
Fifth Sthaan: First Lesson
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