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चित्र परिचय ४
Illustration No. 4 ध्यान की मुद्राएँ (१) स्थानायतिक-कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े रहकर ध्यान करना। (२) उत्कुटुकासनिक-उकडू या गोदोहासन से बैठकर ध्यान करना। (३) प्रतिमास्थायी-मूर्ति के समान पद्मासन से बैठकर ध्यान करना।
(४) वीरासनिक-वीरासन जैसे कुर्सी पर बैठने पर नीचे से कुर्सी हटा देने पर उसी आसन में बैठकर ध्यान करना।
(५) नैषधिक-पालथी मारकर या अन्य आसन पर बैठकर ध्यान करना। (६) दण्डायतिक-दण्ड के समान सीधे चित्त लेटकर ध्यान करना। (७) लगंडशायी-एक करवट से पीठ भूमि से ऊपर रखकर सोकर ध्यान।
(८) आतापक-सूर्य की धूप में खड़े रहकर ध्यान करना अथवा शीत ऋतु में रात में वस्त्र उतारकर ध्यान करना। (९) अपावृतक-वस्त्ररहित होकर शीत व दंशमशक परीषह सहते हुए ध्यान करना।
-स्थान ५, उ. १, सूत्र ४२-४३ सातवें स्थान में सूत्र ४९ कायक्लेश के सात भेद में ६, ७ का इनका वर्णन है।
MEDITATIONAL POSTURES (1) Sthanayatik-to meditate in kayotsarg posture (standing).
(2) Utkutukasanik-to meditate in Godohasan or squatting with feet straight on the ground.
(3) Pratimasthaayi-to meditate in lotus pose like an idol.
(4) Virasanik--to meditate in Virasan, a posture resembling sitting on a chair without a chair.
(5) Naishadyik-to meditate sitting cross-legged. (6) Dandayatik-to sleep flat on the back with legs straight like a rod.
(7) Lagandashayi-to adopt a posture where head and heal touch the floor and the back is raised. ___(8) Atapak-to meditate standing in sun or standing nude during a winter night. ____(9) Apavritak-to meditate nude tolerating cold.
-Sthaan 5, Lesson 1, Sutra 42-43
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