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१४. निम्न पाँच स्थान जब अपरिज्ञात होते हैं तो जीवों के दुर्गतिगमन के कारण होते हैं: (१) शब्द, (२) रूप, (३) गन्ध, (४) स्पर्श। १५. उक्त शब्द आदि पाँच स्थान सुपरिज्ञात होने पर जीवों के सुगतिगमन के कारण होते हैं।
14. If aparijnat (not known and not renounced) five sthaans (subjects) cause durgati (bad rebirth)-(1) shabd (sound), (2) rupa (form or appearance), (3) gandh (smell), (4) rasa (taste) and (5) sparsh (touch). 15. If parijnat (known and renounced) these very five sthaans (subjects) cause sugati (good rebirth). आस्रव-संवर-पद ASRAVA-SAMVAR-PAD
(SEGMENT OF INFLOW AND BLOCKAGE OF KARMAS) १६. पंचहिं ठाणेहिं जीवा दोग्गतिं गच्छति, तं जहा-पाणातिवातेणं जाव (मुसावाएणं, अदिण्णादाणेणं, मेहुणेणं), परिग्गहेणं। १७. पंचहिं ठाणेहिं जीवा सोग्गतिं गच्छंति, तं जहापाणातिवातवेरमणेणं जाव (मुसावायवेरमणेणं, अदिण्णादाणवेरमणेणं,) परिग्गहवेरमणेणं।
१६. निम्न पाँच कारणों से जीव दुर्गति को प्राप्त होते हैं-(१) प्राणातिपात से, (२) मृषावाद से, (३) अदत्तादान से, ४. मैथुन से, (५) परिग्रह से। १७. पाँच कारणों-प्राणातिपातन आदि यावत् परिग्रह के विरमण से जीव सुगति में जाते हैं।
16. Five reasons for bad rebirth of beings are-(1) Pranatipat (harming or destroying life). (2) Mrishavad (falsity). (3) Adattadan (stealing). (4) Maithun (indulgence in sexual activities). (5) Parigraha (acts of possession of things). 17. Five reasons cause good rebirth of beingsviraman (abstaining) from the said five acts including Pranatipat (harming or destroying life). प्रतिमा-पद PRATIMA-PAD (SEGMENT OF SPECIAL CODES)
१८. पंच पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-भद्दा, सुभद्दा, महाभद्दा, सव्वतोभद्दा, भदुत्तरपडिमा।
१८. प्रतिमाएँ-(तप साधना की विशिष्ट विधियाँ) पाँच हैं-(१) भद्रा प्रतिमा, (२) सुभद्रा प्रतिमा, (३) महाभद्रा प्रतिमा, (४) सर्वतोभद्रा प्रतिमा, (५) भद्रोत्तर प्रतिमा। इनका विवेचन दूसरे स्थान के सूत्र २४३ पर किया जा चुका है।
18. There are five pratimas (special codes of austesities)—(1) bhadraa pratima, (2) subhadraa pratima, (3) mahabhadraa pratima, (4) sarvatobhadraa pratima and (5) bhadrotar pratima. (for details refer to Sthaan two aphorism 243)
पंचम स्थान : प्रथम उद्देशक
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Fifth Sthaan: First Lesson
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