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of female ascetics), (3) Shravak Sangh (organization of male 41 householders or laymen) and (4) Shravika Sangh (organization of female householders or laywomen). बुद्धि-पद BUDDHI-PAD (SEGMENT OF WISDOM)
६०६. चउबिहा बुद्धी पण्णत्ता, तं जहा-उप्पत्तिया, वेणइया, कम्मिया, परिणामिया।
६०६. बुद्धि चार प्रकार की कही है-(१) औत्पत्तिकी बुद्धि-प्रश्न सामने आते ही, स्वतः स्फुरणा से उसका समाधान देने वाली अतिशायिनी प्रतिभा। (२) वैनयिकी बुद्धि-गुरुजनों की विनय और सेवा शुश्रूषा से उत्पन्न व विकसित होने वाली बुद्धि। (३) कार्मिकी बुद्धि-कार्य करते-करते स्वतः बढ़ने वाली बुद्धि-कुशलता। (४) पारिणामिकी बुद्धि-अवस्था-उम्र तथा अनुभव बढ़ने के साथ बढ़ने वाली परिपक्व बुद्धि। (चारों बुद्धि का विस्तृत वर्णन सचित्र नन्दीसूत्र पृष्ठ १६७ से ३०३ पर देखें।)
606. Buddhi (wisdom) is of four kinds—(1) Autpattiki buddhi (intuitive wisdom)—that which is self inspired and activated spontaneously to provide answer in response to a question. (2) Vainayiki buddhi (acquired wisdom)—that which is acquired and developed through devotion for teachers and elders or seniors by serving them with modesty. (3) Karmiki buddhi (wisdom confirmed through experience) that which is acquired and perfected practically through working and regular practice. (4) Parinamiki buddhi (deductive wisdom)—that which is acquired and enhanced as a consequence of maturity and experience. (for detailed discussion on four kinds of wisdom refer to Illustrated Nandi Sutra, pp. 167-303) मति-पद MATI-PAD (SEGMENT OF INTELLIGENCE)
६०७. चउव्हिा मई पण्णत्ता, तं जहा-उग्गहमती, ईहामती, अवायमती, धारणामती।
अहवा-चउबिहा मती पण्णत्ता, तं जहा-अरंजरोदगसमाणा, वियरोदगसमाणा, सरोदगसमाणा, सागरोदगसमाणा।
६०७. मति चार प्रकार की है-(१) अवग्रहमति-वस्तु के सामान्य अवलोकन से पहली बार में ही उसके स्वरूप को जानना। (२) ईहामति-अवग्रह से जाने हुए विषय को विशेष पर्यालोचन से जानने की आकांक्षा। (३) अवायमति-जानी हुई वस्तु के विशेष निश्चयात्मक या निर्णयात्मक स्वरूप का ज्ञान। (४) धारणामति-अवाय से प्राप्त ज्ञान को बुद्धि में दृढ़ संस्कार रूप में धारण करना। ___ अथवा-मति (बुद्धि) चार प्रकार की है। (१) अरंजरोदकसमाना-अरंजर (घट) के पानी के समान अल्प ज्ञान को धारण करने वाली बुद्धि। (२) विदरोदकसमाना-विदर (नदी किनारे का गडढा या कण्ड) के के पानी के समान अधिक ज्ञान को धारण करने वाली अधिक उपकारक बुद्धि। (३) सरउदकसमाना
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चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
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Fourth Sthaan: Fourth Lesson
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