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598. Divya-upasarg (divine affliction) is of four kinds—(1) Hasya卐 janit-caused jovially for amusement, (2) pradvesh-janit-caused out of 卐
animosity from earlier birth, (3) vimarsh-janit-caused for testing and (4) prithag-vimatra-caused due to mixed reasons including hilarity and antagonism.
५९९. माणुप्ता उवसग्गा चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा-हासा, पाओसा, वीमंसा, कुसीलपडिसेवणया।
५९९. मनुष्य सम्बन्धी उपसर्ग चार प्रकार के कहे हैं-(१) हास्य-जनित, (२) प्रद्वेष-जनित, (३) विमर्श-जनित, (४) कुशील प्रतिसेवन-ब्रह्मचर्य से भ्रष्ट करने के लिए किया गया उपसर्ग। (संस्कृत टीका भाग २ पृष्ठ ४८२ पर इनके उदाहरण भी दिये हैं।)
599. Manush-upasarg (human affliction) is of four kinds—(1) Hasyajanit, (2) pradvesh-janit, (3) vimarsh-janit and (4) kusheel pratisevancaused for violating celibacy. (for examples see Sanskrit Tika, p. 482)
६००. तिरिक्खजोणिया उवसग्गा चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा-भया, पदोसा, आहारहेउं __ अवच्चलेण-सारक्खणया।
६००. तिर्यंचों के द्वारा किया जाने वाला उपसर्ग चार प्रकार का कहा है।
(१) भय-जनित, जैसे गाय, भैंस, कुत्ता आदि के द्वारा। (२) प्रद्वेष-जनित उपसर्ग पूर्व भव के ॥ + वैरादि के स्मरण से। (३) आहार के लिए किया गया उपसर्ग जैसे-चींटी, मच्छर आदि का। (४) अपने : 3 बच्चों के एवं गुफा, घोंसला आदि आवास स्थान के संरक्षणार्थ किया गया।
600. Tiryagyonik-upasarg (animal affliction)-is of four kinds- 5 (1) Bhaya-janit-caused out of fear such as those caused by cow, buffalo, dog, etc. (2) Pradvesh-janit. (3) Caused out of need of food such as those caused by carnivores and insects like ant, mosquito etc. (4) Caused for protecting offspring and dwelling place such as a cave, nest etc.
६०१. आयसंचेयणिज्जा उवसग्गा चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा-घट्टणता, पवडणता, थंभणता, लेसणता। .
६०१. आत्मसंचेतनीय उपसर्ग चार प्रकार का कहा है-(१) घट्टनता-जनित-आँख में रज-कण E आदि जाने से या किसी से टकरा जाने से। (२) प्रपतन-जनित-मार्ग में चलते हुए असावधानी से गिर पड़ने । के के कारण। (३) स्तम्भन-जनित-हस्त-पाद आदि के शून्य हो जाने या मल-मूत्र रुक जाने से उत्पन्न कष्ट। ॥ + (४) श्लेषणता-जनित-वात-पित्त आदि के कारण सन्धिस्थलों के जुड़ जाने से होने वाला कष्ट।
601. Atmasanchetaniya-upasarg (accidental affliction)-is of four . 5 kinds—(1) Ghattanata-janit--caused due to falling of sand particles in și
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| स्थानांगसूत्र (२)
(60)
Sthaananga Sutra (2)
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