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480. Purush (men) are also of four kinds (those who get initiated and
If follow the ascetic way ) – ( 1 ) Some man gets initiated (nishkrant) with simha-vritti (lion-like attitude; fearless) and moves about with lion-like attitude. (2) Some man gets initiated with lion-like attitude but moves about with shrigaal-vritti (jackal-like attitude; cowardly). (3) Some man gets initiated with jackal-like attitude but moves about with lion-like attitude. (4) Some man gets initiated with jackal-like attitude but moves about also with jackal-like attitude.
विवेचन - सिंहवृत्ति का अभिप्राय है- सिंह के समान निर्भीकता, साहसिकता तथा संशयमुक्त होकर
दूसरों
किसी सहायता की अपेक्षा किये बिना चलना । शृगालवृत्ति का अभिप्राय है- कठिनाइयों से डर जाना, की सहायता या आश्रय की अपेक्षा रखना तथा घबराकर बीच में ही अधीर हो जाना । Elaboration-Simha-vritti means to move about fearlessly, 5 courageously and free of hesitation without any expectation of assistance from any direction. Shrigaal-vritti means to be afraid in face of difficulties, to expect help from or refuge with others and to lose poise and patience.
सम-पद SAM-PAD (SEGMENT OF SIMILARITY)
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४८१. चत्तारि लोगे समा पण्णत्ता, तं जहा - अपइट्ठाणे णरए, जंबुद्दीवे दीवे, पालए जाणविमाणे, सव्वसिद्धे महाविमाणे ।
४८१. लोक में चार स्थान समान हैं। ये चारों ही एक लाख योजन विस्तार वाले हैं) । जैसे
(१) अप्रतिष्ठान नरक - अधोलोक में सातवें नरक के पाँच नारकावासों में से मध्यवर्ती एक नारकावास ।
(२) मध्यलोक का जम्बूद्वीप नामक द्वीप। (३) पालकयान - विमान - ऊर्ध्वलोक में सौधर्मेन्द्र का यात्रा - विमान । (४) सर्वार्थसिद्ध महाविमान - पाँच अनुत्तर विमानों में मध्यवर्ती विमान ।
481. In Lok ( universe) four places are sam (similar or equal) - (1) Apratishthan narak-the middle infernal abode among the five abodes of the seventh hell in the lower world, ( 2 ) Jambu continent in the
middle world, (3) Paalakayan vimaan-the commuting celestial vehicle
of Saudharmendra in the upper world, and (4) Sarvarthasiddha mahavimaan-the middle vimaan among the five Anuttar vimaans. (all
these have an area of one hundred thousand Yojans)
४८२. चत्तारि लोगे समा सपक्खिं सपडिदिसिं पण्णत्ता, तं जहा- सीमंतए णरए, समयक्खेत्ते,
उडुविमाणे, इसीप भारा पुढवी ।
४८२. लोक में चार सम- ( पैंतालीस लाख योजन के समान विस्तार वाले), सपक्ष - ( समान पार्श्व वाले) और सप्रतिदिश - ( समान दिशा और विदिशा वाले) हैं)। जैसे - ( १ ) सीमन्तक नरक - पहले नरक
चतुर्थ स्थान
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Fourth Sthaan
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