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8555555555555555555555555555555 म श्रुत-पद SHRUT-PAD (SEGMENT OF SCRIPTURES) ॐ ४०८. (१९) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुयसंपण्णे णाममेगे णो सीलसंपण्णे, म सीलसंपण्णे णाममेगे णो सुयसंपण्णे, एगे सुयसंपण्णेवि सीलसंपण्णेवि, एगे णो सुयसंपण्णे णो सीलसंपण्णे।
४०९. (२०) एवं सुएण य चरित्तेण य [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुयसंपण्णे 卐णाममेगे णो चरित्तसंपण्णे, चरित्तसंपण्णे णाममेगे णो सुयसंपण्णे, एगे सुयसंपण्णेवि
चरित्तसंपण्णेवि, एगे णो सुयसंपण्णे णो चरित्तसंपण्णे । + ४०८. (१९) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई श्रुतसम्पन्न होता है, किन्तु शीलसम्पन्न नहीं; 9 (२) कोई शीलसम्पन्न होता है, किन्तु श्रुतसम्पन्न नहीं; (३) कोई श्रुतसम्पन्न भी और शीलसम्पन्न भी होता 卐 है; और (४) कोई न श्रुतसम्पन्न और न शीलसम्पन्न ही होता है।
४०९. (२०) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई श्रुतसम्पन्न होता है, किन्तु चारित्रसम्पन्न नहीं; ऊ (२) कोई चारित्रसम्पन्न होता है, किन्तु श्रुतसम्पन्न नहीं; (३) कोई श्रुतसम्पन्न भी और चारित्रसम्पन्न भी होता है; और (४) कोई न श्रुतसम्पन्न और न चारित्रसम्पन्न ही होता है।
408. (19) Purush (men) are of four kinds-(1) Some man is shrut sampanna (endowed with knowledge of scriptures) and not sheel ! sampanna (endowed with good character). (2) Some man is sheel : sampanna and not shrut sampanna. (3) Some man is both shrut sampanna and sheel sampanna. (4) Some man is neither shrut sampanna nor sheel sampanna.
409. (20) Purush (men) are of four kinds—(1) Some man is shrut sampanna (endowed with knowledge of scriptures) and not chaaritra sampanna (endowed with pious conduct). (2) Some man is chaaritra sampanna and not shrut sampanna. (3) Some man is both shrut sampanna and chaaritra sampanna. (4) Some man is neither shrut
sampanna nor chaaritra sampanna. #. शील-पद SHEEL-PAD (SEGMENT OF CHARACTER)
४१०. (२१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सीलसंपण्णे णाममेगे णो चरित्तसंपण्णे, + चरित्तसंपण्णे णाममेगे णो सीलसंपण्णे, एगे सीलसंपण्णेवि चरित्तसंपण्णेवि, एगे णो सीलसंपण्णे णो
चरित्तसंपण्णे। एते एक्कवीसं भंगा भाणियव्वा। म ४१०. (२१) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई शीलसम्पन्न होता है, किन्तु चारित्रसम्पन्न
नहीं; (२) कोई चारित्रसम्पन्न होता है, किन्तु शीलसम्पन्न नहीं; (३) कोई शीलसम्पन्न भी और 卐 चारित्रसम्पन्न भी होता है; तथा (४) कोई न शीलसम्पन्न और न चारित्रसम्पन्न ही होता है।
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| स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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