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+ दम। सतयुग में धर्म के चारों चरण रहते हैं, त्रेता में तीन, द्वापर में दो और कलियुग में केवल एक + चरण (दम-तप व संयम) रहता है। (विस्तार के लिए देखें-हिन्दी टीका, पृ. ८९४)
Elaboration-Numbers are of two kinds-even and odd. Even number is called yugma and odd number is called oja. The reason for finding # living beings conforming to all these four yugma numbers in all dandaks
is that in context of birth and death their number continues to increase
or decrease. Thus at some point of time the number falls in the category 41 of Krit yugma, and at other time in Tryoj or other yugma. Contemplating i
over this metaphoric expression of four ages Acharya Shri Atmaram ji si
M. writes that in Vedic literature for ages have been mentioned-(1) Krit : yug (Satayug), (2) Treta, (3) Dvapar, and (4) Kaliyug. With these, four categories of religion have been associated-satya (truth), ahimsa, daya (kindness) and dam (austerities and self control). In Satayug all the four . prevail, in Treta three, in Dvapar two and in Kaliyug only one prevails and that is dam (austerities and self control). (for more details refer to Hindi Tika, p. 894). शूर-पद SHOOR-PAD (SEGMENT OF BRAVE) ___३६७. चत्तारि सूरा पण्णत्ता, तं जहा-तवसूरे, खंतिसूरे, दाणसूरे, जुद्धसूरे।
खंतिसूरा अरहंता, तवसूरा अणगारा, दाणसूरे वेसमणे, जुद्धसूरे वासुदेवे।
३६७. शूर चार प्रकार के होते हैं-(१) क्षान्ति या शान्ति शूर, (२) तपःशूर, (३) दानशूर, और (४) युद्धशूर।
(१) अर्हन्त भगवन्त क्षान्तिशूर (क्षमावीर) होते हैं, (२) अनगार साधु तपःशूर (तपोवीर) होते हैं, (३) वैश्रमण देव दानशूर (दानवीर) होते हैं, और (४) वासुदेव युद्धशूर (युद्धवीर) होते हैं।
367. Shoor (brave) are of four kinds—(1) kshanti or shanti shoor (brave in forgiveness), (2) tapah shoor (brave in austerities), (3) daan: shoor (brave in charity), and (4) yuddha shoor (brave in war).
(1) Arhant Bhagavant (Tirthankars) are kshanti shoor (brave in 4 forgiveness), (2) anagar sadhus (homeless ascetics) are tapah shoor (brave ! in austerities), (3) Vaishraman Deva (the god of wealth) is daan shoor (brave in charity), and (4) Vasudevas are yuddha shoor (brave in war).
विवेचन-अरिहंत अनन्तबली होते हैं। क्षमा करना उनका सहज स्वभाव है। अनगार तप में सर्वोपरि होता है, वह आत्म शुद्धि के निमित्त घोर तप करता है। वैश्रमण देव, दान देकर भी न तो किसी पर अहसास जताता है और न ही प्रतिफल की अपेक्षा रखता है। वासुदेव-नीति प्रेरित व नीतिपूर्वक युद्ध करते हैं। उनका युद्ध धर्म युद्ध कहलाता है। (हिन्दी टीका, पृ. ८९६)
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