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fortnight (third ashvaas). (4) When during the last days of his life he practices maranantik samlekhana (ultimate vow till death), abandons all food and drinks, accepts padopagaman santhara (lifelong fasting keeping the body motionless like a fallen tree) and spends time peacefully without the desire of death (fourth ashvaas).
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उदित-अस्तमित-पद UDIT-ASTAMIT-PAD (SEGMENT OF RISE AND FALL)
३६३. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-उदितोदिते णाममेगे, उदितत्थमिते णाममेगे, अत्थमितोदिते णाममेगे, अत्थमितत्थमिते णाममेगे। ___भरहे राया चाउरंतचक्कवट्ठी णं उदितोदिते, बंभदत्ते णं राया चाउरंतचक्कवट्टी उदितत्थमिते, + हरिएसबले णं अणगारे अत्थमितोदिते, काले णं सोयरिये अत्थमितत्थमिते।
३६३. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) उदितोदित-कोई पुरुष प्रारम्भ में उदित (उन्नत) और अन्त तक उन्नत ही रहता है। जैसे-चारों दिशाओं में अंतिम छोर तक राज्य करने वाले चक्रवर्ती भरत + राजा; (२) उदितास्तमित-कोई प्रारम्भ से उन्नत, किन्तु अन्त में अस्तमित अर्थात् सर्वसमृद्धि से भ्रष्ट ॥ 9 होकर दुर्गति का पात्र होता है। जैसे-चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त राजा; (३) अस्तमितोदित-कोई प्रारम्भ में भी ॐ सम्पदा-विहीन, किन्तु जीवन के उत्तरार्ध में उन्नति को प्राप्त करता है। जैसे-हरिकेशबल अनगार; और 5 म (४) अस्तमितास्तमित-कोई प्रारम्भ में भी हीन-दीन अवस्था में रहता है और जीवन के अन्त में भी म दुर्गति का पात्र होता है। जैसे-कालशौकरिक।
363. Purush (men) are of four kinds—(1) Uditodit (rise and rise) some man is udit (rising or in his prime) initially and remains so till the end. For example Chakravarti Bharat whose reign extended in all the four direction till the end. (2) Uditastamit (rise and fall)—some man is in his prime initially but falls in the end loosing all his wealth and glory. For example Chakravarti Brahmadatt. (3) Astamodit (fall and rise) some man is fallen or deprived initially but during the later part of his life he attains progress. For example ascetic Harikeshabal. (4) Astamitastamit (fall and fall)—some man is deprived initially and remains so till the end of his life. For example Kaalashaukarik. युग्म-पद YUGMA-PAD (SEGMENT OF SET OF NUMBERS)
३६४. चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा-कडजुम्मे, तेयोए, दावरजुम्मे, कलिओए।
३६४. युग्म (राशि-विशेष) चार प्रकार का होता है-(१) कृतयुग्म-जिस राशि में चार का भाग देने पर शेष चार रहे, वह कृतयुग्म राशि है। जैसे-८, १२, १६, २० अंक; (२) त्र्योज-जिस राशि में 卐 चार का भाग देने पर तीन शेष रहे, वह योज। जैसे-७, ११, १५, १९ अंक; (३) द्वापरयुग्म-जिस ॥
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चतुर्थ स्थान
(495)
Fourth Sthaan
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