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चित्र परिचय १७
Illustration No. 17
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श्रावक के चार आश्वास (जिस प्रकार भार वहन वाले के लिए मार्ग से चार विश्राम स्थान होते हैं, उसी प्रकार श्रमणोपासक के लिए जीवन में चार अध्यात्मिक विश्राम-स्थल हैं
१. भारवाहक, एक कन्धे को बदलकर दूसरे कन्धे पर भार रखता है। श्रावक अपने जीवन में गुणव्रत, शीलव्रत आदि व्रत ग्रहण कर आत्मा को विश्रान्ति-शान्ति प्रदान करता है।
२. भारवाहक, मल-मूत्र त्यागने के लिए भार भूमि पर रखकर कुछ समय विश्रान्ति लेता है। श्रावक भी सामायिक व संवर आदि धार्मिक क्रियाएँ करता हुआ आत्मा को विश्रान्ति देता है।
३. भारवाहक, किसी मन्दिर व धर्मशाला आदि में रात विश्राम लेकर थकान उतारता है। श्रावक भी पर्व तिथियों को पौषध आदि करके जीवन यात्रा में आत्म-शान्ति अनुभवता है।
४. भारवाहक, अपने घर पर पहुँचकर भार को पूर्ण रूप में दूर रखकर भोजन आदि करके पूर्ण विश्रान्ति लेता है। श्रावक भी जीवन के अन्तिम समय में गृहस्थ जीवन के सर्व कार्यों से मुक्त होकर संलेखना संथारा आदि द्वारा अन्तिम आराधना करके आत्मा को पूर्ण विश्रान्ति देता है। चित्र में भारवाहक के दृष्टान्त से श्रावक जीवन में धर्म जागरणा की स्थिति दर्शायी है।
--स्थान ४, सूत्र ३६२
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FOUR PLACES OF REST FOR A SHRAVAK For a person carrying weight there are four places of rest. In the same way for a shravak also there are four places of rest
1. A person carrying load shifts his load from one shoulder to the other. A shravak provides peace to his soul by accepting sheel-vrats, guna-vrats and other vows.
2. A person carrying load places his load on the ground and relieves himself of nature's call. A shravak provides peace to his soul when he properly performs samayik-vrat, samvar and other religious activities.
3. A person carrying load stays at some hostel for the night to rest. A shravak provides peace to his soul when he properly observes complete paushadh on auspicious days.
4. A person carrying load reaches home, gets completely free of the load and rests after taking meals. A shravak provides absolute peace to his soul when during the last days of his life he practices maranantik samlekhana and other rituals of the ultimate vow. The illustration shows the spiritual awakening of a person with the analogy of a person carrying load.
-Sthaan 4, Sutra 362
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