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उन अन्तद्वीपों पर चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं - ( 9 ) हयकर्ण, (२) गजकर्ण, (३) गोकर्ण, (४) शष्कुलीकर्ण ।
३२३. (३) उन अन्तर्द्वीपों की चारों विदिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर पाँच-पाँच सौ योजन जाने पर चार अन्तद्वीप हैं - (१) आदर्शमुख द्वीप, (२) मेषमुख द्वीप, (३) अयोमुख द्वीप, (४) गोमुख द्वीप । उन द्वीपों पर चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं। जैसे - ( १ ) आदर्शमुख, (२) मेषमुख, (३) अयोमुख, (४) गोमुख ।
322. (2) Four hundred Yojans (a unit of eight miles) ahead into the Lavan Samudra from the four aforesaid islands there are four antardveeps (middle islands) in four intermediate directions(1) Hayakarn island, (2) Gajakarn island, ( 3 ) Gokarn island, and (4) Shashkulikarn island.
On these islands live four kinds of human beings-(1) Hayakarn, (2) Gajakarn, (3) Gokarn, and (4) Shashkulikarn.
323. (3) Five hundred Yojans (a unit of eight miles) ahead into the Lavan Samudra from the four aforesaid islands there are four antardveeps (middle islands) in four intermediate directions(1) Adarshamukh island, (2) Meshamukh island, ( 3 ) Ayomukh island, and (4) Gomukh island.
On these islands live four kinds of human beings-(1) Adarshamukh, (2) Meshamukh, (3) Ayomukh, and (4) Gomukh.
३२४. (४) तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुद्दं छ-छ जोयणसयाई ओगाहेत्ता, एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पण्णत्ता, तं जहा- - आसमुहदीवे, हत्थिमुहदीवे, सीहमुहदीवे, वग्घमुहदीवे । तेसु णं दीवेसु चउव्विहा मणुस्सा भाणियव्वा ।
३२५. (५) तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुहं सत्त- सत्त जोयणसयाई ओगाहेत्ता, एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पण्णत्ता, तं जहा - आसकण्णदीवे, हत्थिकण्णदीवे, अकण्णदीवे, कण्णपाउरदीवे । तेसु णं दीवेसु चउव्विहा मणुस्सा भाणियव्वा ।
३२४. (४) उन द्वीपों की चारों विदिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर छह-छह सौ योजन जाने पर चार अन्तद्वीप हैं - ( १ ) अश्वमुख द्वीप, (२) हस्तिमुख द्वीप, (३) सिंहमुख द्वीप, (४) व्याघ्रमुख द्वीप। उन द्वीपों ! पर चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं - (१) अश्वमुख, (२) हस्तिमुख, (३) सिंहमुख, (४) व्याघ्रमुख ।
३२५. (५) उन द्वीपों की चारों विदिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर सात-सात सौ योजन जाने पर चार अन्तद्वीप हैं - ( १ ) अश्वकर्ण द्वीप, (२) हस्तिकर्ण द्वीप, (३) अकर्ण द्वीप, (४) कर्णप्रावरण द्वीप। उन द्वीपों पर चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं - (१) अश्वकर्ण, (२) हस्तिकर्ण, (३) अकर्ण, (४) कर्णप्रावरण।
स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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