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________________ 155555******************தமி******* Б 卐 (७) दीन और दीन दृष्टि - (१) कोई पुरुष दीन है और दीन दृष्टि (विचारधारा) वाला है । (२) कोई 5 दीन होकर भी दीन दृष्टि वाला नहीं है । (३) कोई दीन नहीं होकर भी दीन दृष्टि वाला है। (४) कोई न दीन है और न दीन दृष्टि वाला है। (८) दीन और दीन शीलाचार - (१) कोई पुरुष दीन है और दीन शील- आचार वाला है । (२) कोई पुरुष दीन होकर भी दीन शील- आचार वाला नहीं । (३) कोई पुरुष दीन नहीं होकर भी दीन शील- 5 आचार वाला है। (४) कोई पुरुष न दीन है और न दीन शील- आचार वाला है। 卐 (९) दीन और दीन व्यवहार - (१) कोई पुरुष दीन है और दीन व्यवहार वाला है । (२) कोई दीन 55 होकर भी दीन व्यवहार वाला नहीं है । (३) कोई दीन नहीं होकर भी दीन व्यवहार वाला है। (४) कोई नदीन है और दीन व्यवहार वाला है। फ्र 卐 (१०) दीन और दीन पराक्रम - (१) कोई पुरुष दीन है और दीन पराक्रम वाला (उद्यम करने में कमजोर) भी है । (२) कोई दीन होकर भी दीन पराक्रम वाला नहीं है । (३) कोई दीन नहीं होकर भी 5 दीन पराक्रम वाला है। (४) कोई न दीन है और न दीन पराक्रम वाला है। 卐 卐 (११) दीन और दीनवृत्ति - (१) कोई पुरुष दीन है और दीनवृत्ति - (दीन जैसी आजीविका ) करता है। फ्र (२) कोई दीन होकर भी दीनवृत्ति नहीं है । (३) कोई दीन न होकर दीनवृत्ति भी है । (४) कोई न दीन है 卐 और दीवृत्ति है। फ्र फ (१२) दीन और दीन जाति - (१) कोई पुरुष ( स्वभाव से) दीन है और दीन जाति वाला है । (२) कोई है, किन्तु दीन जाति वाला नहीं । (३) कोई दीन नहीं होकर भी दीन जाति वाला है । (४) कोई न फ्र दीन है और न दीन जाति वाला है। 卐 卐 2 55555 565 5 55 55 555 5555 555555955555555555955555559 फ (१३) दीन और दीन भाषी - (१) कोई पुरुष दीन है और दीन भाषा बोलता है। (२) कोई दीन होकर भी दीन भाषा नहीं बोलता । (३) कोई दीन है और दीन भाषा भी बोलता है । (४) कोई न दीन है और न फ दीन भाषा बोलता है ! 卐 फ्र (१४) दीन और दीनावभासी - ( १ ) कोई पुरुष दीन है और दीन जैसा दीखता है । (२) कोई दीन 5 होकर भी दीन नहीं दीखता है । (३) कोई दीन नहीं होकर भी दीन दीखता है । (४) कोई न दीन न दीन दीखता है। और (१६) दीन और दीन पर्याय - (१) कोई पुरुष दीन है और दीन पर्याय (अवस्था) वाला है । (२) कोई दीन होकर भी दीन पर्याय वाला नहीं है । (३) कोई दीन न होकर भी दीन पर्याय वाला है । (४) कोई न दीन है और न दीन पर्याय वाला है। चतुर्थ स्थान Jain Education International (१५) दीन और दीन सेवी - ( १ ) कोई पुरुष दीन है और दीन पुरुष (स्वामी) की सेवा करता है। (२) कोई दीन होकर भी अदीन पुरुष की सेवा करता है । (३) कोई अदीन होकर भी दीन पुरुष की फ्र सेवा करता है । (४) कोई न दीन है और न दीन पुरुष की सेवा करता है। (403) For Private & Personal Use Only फ्र फ़फ़ 卐 卐 Fourth Sthaan 卐 www.jainelibrary.org
SR No.002905
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages696
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size21 MB
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