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१४७. भृतक (सेवक) चार प्रकार के होते हैं-(१) दिवस-भृतक-प्रतिदिन का नियत पारिश्रमिक लेने वाला। (२) यात्रा-भृतक-यात्रा काल में सेवा-सहायता करने वाला। (३) उच्चत्व-भृतक-नियत 卐 कार्य का ठेका लेकर या ठेके पर कार्य करने वाला, (४) कब्बाड-भृतक-नियत भूमि आदि खोदकर पारिश्रमिक लेने वाला।
147. Bhritak (servant) is of four kinds—(1) divas-bhritak--daily wage labour, (2) yatra-bhritak-servant employed during traveling,
(3) uchchatva-bhritak-contract labour, and (4) kabbad-bhritak-servant 4 employed for a specific work like digging. * प्रतिसेवि-पद PRATISEVI-PAD (SEGMENT OF ERRANT)
१४८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-संपागडपडिसेवी णामेगे णो पच्छण्णपडिसेवी, ॐ पच्छण्णपडिसेवी णामेगे णो संपागडपडिसेवी, एगे संपागडपडिसेवी वि पच्छण्णपडिसेवी वि, एगे णो * संपागडपडिसेवी णो पच्छण्णपडिसेवी। . 卐 १४८. दोष-सेवन करने वाले चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई व्यक्ति प्रकट रूप से दोष-सेवन , ज करता है, किन्तु प्रच्छन्न, गुप्त रूप से नहीं करता-(जैसे-स्वच्छन्दाचारी या निर्लज्ज पुरुष)। (२) कोई के छुपकर दोष-सेवन करता है किन्तु प्रकट में नहीं करता। (३) कोई प्रकट में दोष-सेवन करता है और
छुपकर भी करता है। (जैसे-दुर्व्यसनी या हत्यारा)। (४) कोई न प्रकट में दोष-सेवन करता है न ही छुपकर। (जैसे-विवेकी साधु)।
148. Pratisevi (blunderer or errant) is of four kinds—(1) one who errs openly but not furtively (such as a shameless rogue), (2) one who errs furtively but not openly, (3) one who errs openly as well as furtively (such as debauch or killer), and (4) one who neither errs openly nor furtively (such as a sage). अग्रमहिषी-पद AGRAMAHISHIS-PAD (SEGMENT OF CHIEF QUEENS)
१४९. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कणगा, कणगलता, चित्तगुत्ता, वसुंधरा। १५०. एवं जमस्स वरुणस्स वेसमणस्स।
१४९. असुरकुमारराज असुरेन्द्र चमर के लोकपाल सोम (पूर्व) महाराज की चार अग्रमहिषियाँ + हैं-(१) कनका, (२) कलकलता, (३) चित्रगुप्ता, (४) वसुन्धरा। १५०. इसी प्रकार यम (दक्षिण), वरुण (पश्चिम) और वैश्रवण (उत्तर), लोकपालों की भी चार-चार अग्रमहिषियाँ हैं।
149. Soma (guardian of the east direction), the lok-paal of Chamar Asurendra, the king of Asur Kumar gods has four agramahishis (chief स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1) 3555555555555555555555555555)))
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