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4. Tejaskaant. (11) Purna-1. Rupa, 2. Rupansh, 3. Rupakaant, and 4. Rupaprabh. (12) Vishisht-1. Rupa, 2. Rupansh, 3. Rupaprabh, and 4. Rupakaant. (13) Jalakaant-1. Jala, 2. Jalarat, 3. Jalaprabh, and 4. Jalakaant. (14) Jasaprabh-1. Jala, 2. Jalarat, 3. Jalakaant, and 4. Jalaprabh. (15) Amit-gati-1. Tvaritgati, 2. Kshipragati, 3. Simhagati, and 4. Simhavikram-gati. (16) Amit-vahan-1. Tvaritgati, 2. Kshipragati, 3. Simhavikram-gati, and 4. Simhagati. ( 17 ) Velamb— 5 1. Kaal, 2. Mahakaal, 3. Anjan, and 4. Risht. (18) Prabhanjan-1. Kaal, 2. Mahakaal, 3. Risht, and 4. Anjan. (19) Ghosh-1. Avart, 2. Vyavart, 3. Nandikavart, and 4. Mahanandikavart. (20) Mahaghosh-1. Avart, 2. Vyavart, 3. Mahanandikavart, and 4. Nandikavart.
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In the same way in Saudharm Devlok (1) Shakrendra - 1. Soma, 2. Yama, 3. Varun, and 4. Vaishraman. (2) Ishanendra-1. Soma, 2. fi Yama, 3. Vaishraman, and 4. Varun. Beyond that there are four lok-paals heach for kings of gods up to Achyutendra-1. Soma, 2. Yama, 3. Varun, 5 and 4. Vaishraman.
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| चतुर्थ स्थान
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विवेचन - लोकपालदेव इन्द्र के सीमारक्षक तथा विशाल साम्राज्य की रक्षा करने वाला होता है। फ व्यन्तर एवं ज्योतिष्क देवों के लोकपाल नहीं होते । भवनपति और वैमानिक देवों के लोकपाल होते हैं। दस भवनपतियों के दक्षिणार्द्ध व उत्तरार्द्ध के १० + १० = २० इन्द्र हैं। प्रत्येक के ४ + ४ कुल ८० लोकपाल हैं। सोम पूर्व दिशा का, यम दक्षिण का, वरुण पश्चिम का तथा वैश्रवण उत्तर दिशा का स्वामी 5 या संरक्षक है।
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अन्तरिक्ष सम्बन्धी उपद्रवों का सम्बन्ध सोम के साथ है। मनुष्यलोक में रोग, युद्ध, महामारी आदि का सम्बन्ध यम के साथ है। अतिवृष्टि, अनावृष्टि, समुद्री तूफान, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं का सम्बन्ध वरुण के साथ है, इसीलिए यह जलदेव कहा जाता है। तथा सुकाल, दुष्काल, स्वर्ण-रत्न आदि की खानें, निधान आदि बातों का सम्बन्ध वैश्रवण लोकपाल के साथ है, इसे धन का देवता कुबेर भी कहते हैं। चारों दिशाओं के लोकपाल अपने-अपने इन्द्रों को मनुष्यलोक की गतिविधियों की सूचना देते रहते हैं । (लोकपाल फ सम्बन्धी विस्तृत वर्णन भगवतीसूत्र, उद्देशक ७ में तथा हिन्दी टीका, पृष्ठ ७२० पर देखें)
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Elaboration-A lok-paal god is the border guard who is responsible for Security of the boundary and of vast empire of Indra (king of gods). The 5 Vyantar (interstitial ) and Jyotishk (stellar) gods do not have lok-paals. 5 Bhavanpati (abode dwelling) and Vaimanik (celestial vehicle dwelling) gods have lok-paals. Ten Bhavanpatis have twenty Indras, one each for their southern and northern halves. Thus there are eighty lok-paals, four for each. Soma is the guardian of the east, Yama that of the south, Varun of the west and Vaishraman of the north.
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Fourth Sthaan 卐
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