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san looks neither at faults (such as simolooks at his own va
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LE (2) Some man looks at others' variya (faults) and not his own faults (such
as an egotist or an ignoble person). (3) Some man looks at his own varjya
(faults) as well as at others' faults (such as simple minded person). (4) $ Some man looks neither at his own varjya (faults) nor at others' faults (such as an ignorant or a fool).
109. Men are of four kinds-(1) Some man causes fructification fi (udirana) or reveals and accepts his own varjya (faults) and not others' faults. Read all the four alternatives as in aphorism 108.
110. Men are of four kinds—(1) Some man pacifies (upashant) or # removes his own varjya (faults) and not others' faults. Read all the four F alternatives as in aphorism 108.
विवेचन-वर्ण्य (अवद्य) के तीन अर्थ होते हैं-(१) त्यागने योग्य अवगुण, (२) वज्र के समान महापाप, (३) निन्दनीय कार्य दोष। ___Elaboration-Varjya has three meanings (1) faults worth removing, (2) diamond-hard sins, and (3) faults worth censuring. लोकोपचार-विनय-पद LOKOPACHAR-VINAYA-PAD
(SEGMENT OF SOCIAL MODESTY) १११. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अभुटेति णाममेगे णो अब्भुट्ठावेति। [ अन्भुट्ठावेति णाममेगे णोअन्भुढेति, एगे अन्भुढेति वि अन्भुट्ठावेति; वि एगे णो अब्भुटेति णो अब्भुट्ठावेति।]
११२. [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-वंदति णाममेगे णो वंदावेति। (४) वंदावेति णाममेगे णो वंदति, एगे वंदति वि वंदावेति वि, एगे णो वंदति णो वंदावेति।
एवं सक्कारेति, सम्माणेति पूएइ, वाएइ, पडिपुच्छति, पुच्छइ, वागरेति (४-४)।
११३. [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सक्कारेइ णाममेगे णो सक्कारावेइ, सक्करावेइ णाममेगे णो सक्कारेइ, एगे सक्कारेइ वि सक्कारावेइ वि, एगे णो सक्कारेइ णो सक्कारावेइ ]
११४. [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सम्माणेति णाममेगे णो सम्माणावेति, सम्माणावेति णाममेगे णो सम्माणेति, एगे सम्माणेति वि सम्माणावेति वि, एगे णो सम्माणेति णो सम्माणावेति ।
११५. [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-पूएइ णाममेगे णो पूयावेति, पूयावेति णाममेगे णो पूएइ, एगे पूएइ वि पूयावेति वि, एगे णो पूएइ णो पूयावेति।]
१११. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष (गुरुजनादि को देखकर) स्वयं अभ्युत्थान करता (खड़ा होता) है, किन्तु (दूसरों से) अभ्युत्थान नहीं करवाता। जैसे-दीक्षा आदि में लघु मुनि,
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चतुर्थ स्थान
(73)
Fourth Sthaan
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