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ॐ पालन कर सिद्ध होता है, बुद्ध होता है, मुक्त होता है, परिनिर्वाण को प्राप्त होता है और सर्व दुःखों का , E अन्त करता है। जैसे कि चक्रवर्ती भरत राजा हुआ। यह प्रथम अन्तक्रिया है। फा (२) दूसरी अन्तक्रिया-कोई पुरुष बहुत भारी कर्मों के साथ मनुष्य-भव को प्राप्त होता है। पुनः वह
मुण्डित होकर, घर त्यागकर, प्रव्रजित हो, संयम-बहुल, संवर-बहुल और उपधान करने वाला, दुःख
को खपाने वाला तपस्वी होता है। वह विशेष प्रकार का घोर तप करता है और विशेष प्रकार की घोर , फ्र वेदना अनुभव करता है। इस प्रकार का पुरुष अल्पकालिक साधु-पर्याय का पालन करके सिद्ध होता है। यावत सर्व दुःखों का अन्त करता है। जैसे कि गजसकुमार अनगार। यह दूसरी अन्तक्रिया है।
(३) तीसरी अन्तक्रिया-कोई पुरुष बहुत कर्मों के साथ मनुष्य-भव को प्राप्त होता है। पुनः वह मुण्डित होकर, घर त्यागकर, अनगार व्रत को धारण कर प्रव्रजित होता है। दीर्घकालिक साधु-पर्याय ॐ का पालन करता हुआ घोर तप करके घोर वेदना भोगकर सिद्ध होता है और सर्व दुःखों का अन्त करता है। जैसे कि चक्रवर्ती सनत्कुमार राजा। यह तीसरी अन्तक्रिया है।
(४) चौथी अन्तक्रिया-कोई पुरुष अल्प कर्मों के साथ मनुष्य-जन्म को प्राप्त होता है। पुनः वह ! मुण्डित होकर प्रव्रजित हो संयम-बहुल, यावत् तपस्वी होता है। उसके न तो उस प्रकार का घोर तप । होता है और न उस प्रकार की घोर वेदना होती है। इस प्रकार का पुरुष अल्पकालिक साधु-पर्याय का पालन कर सिद्ध होता है और सर्व दुःखों का अन्त करता है। जैसे कि भगवती मरुदेवी। यह चौथी ! अन्तक्रिया है।
1. Ant-kriya (last action or ending cycles of death) is of four kinds
(1) First ant-kriya—A person is born as a human being with meager quantum of karmas. He then gets tonsured, renounces household and gets y initiated as anagar (ascetic). After that, becoming samyam-bahul (one 4 who practices extensive discipline), samvar-bahul (one who practices ! extensive blocking of inflow of karmas) and samadhi-bahul (one who practices extensive meditation) he turns himself into a consumer of drab and dry food, tirarthi (aspirant of crossing the ocean of mundane y existence), observer of upadhan tap (a specific austerity) and an ascetic observing austerities in order to shed karmas. He has to neither undergo extreme austerities nor suffer extreme pain. Leading a long ascetic life such person becomes a Siddha (perfected), buddha (enlightened), mukta (liberated) and attains parinirvana (últimate departure) to end all miseries. For example Chakravarti Bharat. This is first ant-kriya.
(2) Second ant-kriya—A person is born as a human being with large quantum of karmas. He then gets tonsured, renounces household and gets initiated as anagar (ascetic). After that, becoming samyam-bahul (one who practices extensive discipline), samvar-bahul (one who
स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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