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因牙牙牙牙牙牙乐乐555555555$$$$$$$$$$$$$$$$ म क्षीणपोह-पद KSHEEN-MOHA-PAD
(SEGMENT OF DESTRUCTION OF MOHA KARMA) ४०९. खीणमोहस्स णं अरहओ तओ कम्मंसा जुगवं खिज्जंति, तं जहा-णाणावरणिज्जं, 5 दसणावरणिज्जं, अंतराइयं।
४०९. क्षीण मोह वाले (बारहवें गुणस्थानवर्ती) अर्हन्त के तीन कर्मांश-(कर्म-प्रकृतियाँ) एक साथ क्षीण होते हैं-(१) ज्ञानावरणीय, (२) दर्शनावरणीय, और (३) अन्तराय कर्म। ___409. Arhant having ksheen-moha (destroyed deluding karma) undergoes destruction of three karmansh (karma prakriti or species of karma by qualitative segregation) at once-(1) Jnanavaraniya (knowledge obscuring karma), (2) Darshanavaraniya (perception obscuring karma), and (3) Antaraya (power hindering karma). नक्षत्र-पद NAKSHATRA-PAD (SEGMENT OF CONSTELLATIONS)
४१०. अभिईणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते। ४११. एवं-सवणे अस्सिणी, भरणी, मगसिरे, पूसे, जेट्ठा।
४१०. अभिजित नक्षत्र तीन तारा वाला है, ४११. इसी प्रकार श्रवण, अश्विनी, भरणी, मृगशिर, पुष्य और ज्येष्ठा भी तीन-तीन तारा वाले हैं।
410. There are three stars in Abhijit nakshatra (Lyrae: the 22nd lunar ॥ asterism). 411. In the same way there are three stars each in Shravan
(Alpha Aquilae; the 23rd lunar asterism), Bharani (35 Arietis; the 2nd), ___Pushya (Delta Cancri; the 8th) and Jyeshtha (Antares; the 18th). तीर्थंकर-पद TIRTHANKAR-PAD (SEGMENT OF TIRTHANKAR)
४१२. धम्माओ णं अरहाओ संती अरहा तिहिं सागरोवमेहिं तिचउभागपलिओवमऊणएहि । वीतिक्कंतेहिं समुप्पण्णे।
४१३. समणस्स णं भगवओ महावीरस्स जाव तच्चाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकरभूमी।
४१४. मल्ली णं अरहा तिहिं पुरिससएहिं सद्धिं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए। ४१५. [ एवं पासे वि अरहा पब्बइए।]
४१६. समणस्स णं भगवतो महावीरस्स तिण्णिसया चउद्दसपुब्बीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सबक्खरसण्णिवातीणं जिण इव अवितहं वागरमाणाणं उक्कोसिया चउद्दसपुवि संपया हुत्था।
४१७. तो तित्थयरा चक्कवट्टी होत्था, तं जहा-संती, कुंथू, अरो।
स्थानांगसूत्र (१)
(314)
Sthaananga Sutra (1)
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