________________
गगगाऊ55555558
360. Three are duhsanjapya (hard to teach)-(1) dusht (wicked), 卐 (2) moodh (irrational), and (3) vyudgrahit-one provoked by a dogmatic Si person. 361. Three are susanjapya (easy to teach)-(1) adusht (not
wicked), (2) amoodh (rational), and (3) avyudgrahit-one not provoked by a dogmatic person. माण्डलिक-पर्वत-पद MANDALIK-PARVAT-PAD (SEGMENT OF CIRCULAR MOUNTAINS)
३६२. तओ मंडलिया पब्बता पण्णत्ता, तं जहा-माणुसुत्तरे, कुंडलवरे, रुयगवरे।
३६२. तीन माण्डलिक (वलयाकार वाले) पर्वत हैं-(१) मानुषोत्तर, (२) कुण्डलवर, और 5 (३) रुचकवर पर्वत।
____862. There are three mandalik-parvat (circular mountains)5 (1) Manushottar, (2) Kundalavar, and (3) Ruchakavar. महतिमहालय-पद MAHATIMAHALAYA-PAD (SEGMENT OF THE GREATEST)
३६३. तओ महतिमहालया पण्णत्ता, तं जहा-जंबुद्दीवए मंदरे मंदरेसु, सयंभूरमणे समुद्दे समुद्देसु, बंभलोए कप्पे कप्पेसु। ___ ३६३. तीन महतिमहालय (अपनी-अपनी कोटि में सबसे बड़े) होते हैं-(१) मन्दर पर्वतों में जम्बूद्वीप का सुमेरु पर्वत, (२) समुद्रों में स्वयम्भूरमण समुद्र, और (३) कल्पों में ब्रह्मलोककल्प। ____363. There are three mahatimaha.ayl (the greatest among their category)-(1) Sumeru mountain of Janou continent among mountains, (2) Svaymbhuraman sea among seas, and (3) Brahmalok Kalp among Kalps (divine dimensions). कल्पस्थिति-पद KALPASTHITI-PAD (SEGMENT OF PRAXIS OBSERVATION)
३६४. तिविधा कप्पठिती पण्णत्ता, तं जहा-सामाइयकप्पठिती, छेदोवट्ठावणियकप्पठिती, णिव्विसमाणकप्पठिती।
अहवा-तिविहा कप्पठिती पण्णत्ता, तं जहा-णिविट्ठकप्पद्विती, जिणकप्पद्विती, थेरकप्पट्टिती।
३६४. कल्पस्थिति तीन प्रकार की है-(१) सामायकि कल्पस्थिति, (२) छेदोपस्थापनीय कल्पस्थिति, और (३) निर्विशमान कल्पस्थिति।
अथवा कल्पस्थिति तीन प्रकार की है-(१) निर्विष्टकल्पस्थिति, (२) जिनकल्पस्थिति, और (३) स्थविरकल्पस्थिति।
364. Kalpasthiti (praxis observation) is of three kinds—(1) Samayik kalpasthiti, (2) Chhedopasthapaniya kalpasthiti, and (3) Nirvishamaan kalpasthiti.
तृतीय स्थान
(293)
Third Sthaan
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org